

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद हल्द्वानी के ग्रामीण क्षेत्र से लिव-इन रिलेशनशिप का पहला आधिकारिक पंजीकरण दर्ज किया गया है। पढे़ं डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
हल्द्वानी: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) के लागू होने के बाद सामाजिक और कानूनी स्तर पर बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। इसी क्रम में हल्द्वानी के ग्रामीण क्षेत्र से लिव-इन रिलेशनशिप का पहला आधिकारिक पंजीकरण दर्ज किया गया है। यह पंजीकरण न केवल कुमाऊं मंडल का पहला मामला है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में सामाजिक स्वीकार्यता और कानूनी प्रक्रिया के नए दौर की शुरुआत भी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, एसडीएम परितोष वर्मा ने इस पंजीकरण की पुष्टि करते हुए बताया कि यह जोड़ा यूसीसी के तहत ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से पंजीकृत हुआ। खास बात यह रही कि महिला विधवा हैं और उनका एक संतान भी है।
यूसीसी के तहत अनिवार्य हुआ पंजीकरण
उत्तराखंड सरकार द्वारा 27 जनवरी 2025 को लागू की गई समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में उपजिला अधिकारी (एसडीएम) और शहरी क्षेत्रों में नगर आयुक्त (रजिस्ट्रार) को यह जिम्मेदारी दी गई है।
पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद युगल को एक अधिकारिक रसीद प्रदान की जाती है, जो किराए पर मकान, हॉस्टल या पीजी में रहने के लिए आवश्यक होगी। इतना ही नहीं, रजिस्ट्रेशन के बाद इसकी सूचना युगल के माता-पिता या अभिभावक को भी दी जाती है।
अब तक के आंकड़े
यूसीसी लागू होने के बाद अब तक निम्नलिखित पंजीकरण दर्ज हुए हैं:
21 जोड़ों ने लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराया है।
66,365 लोगों ने विवाह पंजीकरण करवाया।
207 लोगों ने वसीयत/वारिस का रजिस्ट्रेशन कराया।
62 तलाक के मामले दर्ज किए गए हैं।
यूसीसी के नियमों के तहत सख्त प्रावधान
यूसीसी के तहत अगर कोई युगल लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हुए पंजीकरण नहीं कराता है तो:
6 माह तक की सजा,
25,000 रुपये तक का जुर्माना,
या दोनों का प्रावधान है।
साथ ही, लिव-इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चों को वैधानिक संतान का दर्जा मिलेगा और वे सभी जैविक अधिकारों के हकदार होंगे।