उत्तराखंड: आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में फीस बढ़ोत्तरी का शासनादेश निरस्त
नैतीताल हाईकोर्ट ने फीस बढ़ोत्तरी के मामले में राज्य सरकार और आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट के फैसले से राज्य में आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों के पांच सौ से अधिक छात्र-छात्राएं सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। पूरी खबर..
नैनीताल: हाईकोर्ट ने फीस बढ़ोत्तरी के मामले में राज्य सरकार और आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने सरकार की ओर से फीस बढ़ोत्तरी के शासनादेश को निरस्त करने के साथ ही फीस जमा कर चुके छात्रों को 15 दिन के भीतर रकम लौटाने के निर्देश सरकार को दिए हैं। कोर्ट के फैसले से राज्य में आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों के पांच सौ से अधिक छात्र-छात्राएं सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे।
14 अक्टूबर 2015 को राज्य सरकार के निर्देशानुसार शासन ने आयुर्वेदिक कॉलेजों में शुल्क बढ़ोत्तरी का आदेश जारी किया था। शासनादेश में निर्धारित शुल्क 80 हजार से दो लाख 15 हजार सालाना कर दिया था। सरकार के शासनादेश को हिमालयन आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के डोइवाला देहरादून के ललित तिवारी ने याचिका के माध्यम से चुनौती दी। याची के अधिवक्ता विनोद तिवारी ने कोर्ट को बताया कि सरकार द्वारा खास कॉलेज को फायदा पहुंचाने के मकसद से जीओ जारी किया।
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फीस निर्धारण समिति एक्ट 2006 के तहत समिति को फीस बढ़ोत्तरी का अधिकार है मगर सरकार द्वारा प्रत्याशा में शुल्क बढ़ोत्तरी का शासनादेश जारी कर दिया। यहीं नहीं 14 अक्टूबर 2015 में शासनादेश जारी हुआ मगर कॉलेजों ने 13 एक्टूबर से पहले ही बढ़ा शुल्क वसूलना आरंभ कर दिया।
साफ है कि कॉलेजों को शुल्क वृद्धि की जानकारी पहले से थी। न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद फीस बढ़ोत्तरी के शासनादेश को निरस्त कर दिया। साथ ही बढ़ी हुई फीस 15 दिन के भीतर या जितना जल्दी संभव हो छात्रों को लौटाने का आदेश पारित किया है।
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