UPSSSC पेपर लीक मामले में ब्लैक लिस्टेड हुईं नोएडा की बदनाम कंपनियां न्यासा और गोपसंस प्रिंटर

जय प्रकाश पाठक

डाइनामाइट न्यूज़ के लगातार भंडाफोड़ के बाद आखिरकार नोएडा की दो बदनाम कंपनियों न्यासा और गोपसंस प्रिंटर प्राइवेट लिमिटेड को यूपी सरकार ने ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। इन पर यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा पिछले साल जुलाई में आयोजित यूपी लोअर सबार्डिनेट के 700 पदों की लिखित परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक कराने के आरोप हैं। पूरी खबर..



लखनऊ: सीएम के सख्त तेवरों को देखते हुए एक साल की लंबी जांच के बाद यूपी एसटीएफ की सिफारिशों को अमल में लाया गया है। सरकारी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक करने के मामले में नोएडा की दो बदनाम कंपनियों न्यासा और गोपसंस प्रिंटर प्राइवेट लिमिटेड को यूपी सरकार ने ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। 

गुजरात से लेकर यूपी इन दोनों कंपनियों का जाल फैला है। दोनों कंपनियां सरकारी ठेका उठा परीक्षा के प्रश्न पत्र की छपाई से लेकर एक्जाम कराने तक का काम करती हैं, इसके में सरकार से मोटा पैसा वसूलती हैं लेकिन जब मिलीभगत से संदिग्ध परिस्थितियों में प्रश्नपत्र ही लीक करा दिया जाये तो फिर लाखों नौजवानों का भविष्य अंधकारमय होने की कगार पर पहुंच जाता है।

कार्यवाही के बाबत आयोग का शासन को पत्र

 

कुछ ऐसा ही हुआ था 15 जुलाई 2018 को होने वाली यूपी में लोअर सबार्डिनेट के 700 पदों की लिखित परीक्षा में। इन पदों के लिए लखनऊ और कानपुर में 67,500 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था और 31 हजार नौजवानों ने परीक्षा दी थी। इसके ठीक चंद घंटे पहले 14 जुलाई को प्रश्न पत्र लीक करा दिया गया। इसकी एवज में मोटे पैसे दलालों ने परीक्षार्थियों ने वसूले। पेपर लीक की खबर जब वायरल हुई तब जाकर सीएम ने इसकी जांच यूपी एसटीएफ को सौंपी। लंबी जांच के बाद एसटीएफ की सिफारिश पर इस परीक्षा को निरस्त करने और दोबारा पूरी परीक्षा को नये सिरे से कराने का आदेश दिया गया है। साथ ही इन दोनों कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है।

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बड़ा सवाल क्यों नही हुई अब तक गिरफ्तारी
डाइनामाइट न्यूज़ की पड़ताल में यह बात सामने आयी है कि समूचे प्रकरण में मेरठ पुलिस और यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भूमिका ठीक नहीं रही। जांच के नाम पर इन बदनाम कंपनियों को पर्दे के पीछे से बचाने का खेल जारी रहा। यही कारण है कि कार्यवाही में लगभग एक साल का समय लग गया। मेरठ पुलिस से लेकर UPSSSC अपनी जिम्मेदारियों का बचाव कर एक-दूसरे पर दोषारोपण करती रहीं और आज भी हालत ये है कि मेरठ के सदर थाने में एफआईआर संख्या 445/2018 धारा 420, 465, 467, 468 पंजीकृत होने के बावजूद दोषी खुलेआम घूम रहे हैं। आज तक उनको मेरठ पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है, वह भी तब जब जांच में दोष साबित हो चुका है। 

सीएम के सख्त तेवरों के बावजूद कौन बचा रहा है अभियुक्तों को
डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक इसी तरह का काला-कारनामा इन कंपनियों ने गुजरात में किया तो वहां की सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए टीएटी गुजरात के पेपर लीक प्रकरण में इन कंपनियों से जुड़े अभियुक्तों नवीन, विक्रांत संजीत, मलिक को गिरफ्तार कर लिया लेकिन यूपी में सीएम के सख्त तेवरों के बाद भी अब तक इनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? कौन इन्हें बचा रहा है? ये बड़ा सवाल है और जांच का विषय है।

इस सारे मामले पर बात करने के लिए डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता ने यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष अरुण सिन्हा से बात करनी चाही तो पता चला कि वे छुट्टी पर हैं। 
 










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