UP Weather Problem: हाथ जोड़कर कंबल के लिए गिड़गिड़ाते रहे नेत्रहीन बुज़ुर्ग, और फोन चलाते रहे अधिकारी!

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में सिराथू तहसील के समाधान दिवस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक नेत्रहीन बुजुर्ग कंबल की गुहार लगा रहे हैं। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़िए पूरी खबर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 5 January 2025, 4:57 PM IST
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कौशांबी: उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप जारी है। सूरज तो न के बराबर ही देखने को मिल रहा है। ऐसे में हर किसी को गर्म कपड़ों की जरूरत पड़ती है। कड़ाके की ठंड को देखते हुए कि किसी भी व्यक्ति को ठंड का सामना न करना पड़े, इसके लिए सरकार रैन बसेरा, गरीबों को ठंड से बचाने के लिए मुफ्त कंबल बांटने की व्यवस्था करती है।

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, जो उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में हुआ उसको देखकर लगता है कि जैसे मानवता खत्म हो रही है। जिले में सिराथू तहसील के समाधान दिवस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक नेत्रहीन बुजुर्ग लवकुश मौर्य सिराथू तहसीलदार अंनत राम से हाथ जोड़कर एक कंबल की गुहार लगाते नज़र आ रहे हैं। 

मोबाइल में लगे रहे अधिकारी

वीडियो में देखा जा सकता है कि लवकुश मौर्य बार-बार कंबल की मांग करते हैं और कहते हैं कि 'साहेब, हम बहुत परेशान हैं, जाड़े में हमें कंबल चाहिए, हमारी मदद करें।' लेकिन अधिकारी मोबाइल पर लगे रहते हैं और मामले को टालते रहते हैं। तहसीलदार कहते हैं कि अभी कंबल नहीं है। जब कंबल आएंगे तो बाट दिए जाएंगे। 

एसडीएम के आदेश पर मिला कंबल

घटना का वीडियो वायरल हुआ तो डीएम मधुसूदन हुलगी ने भी वायरल वीडियो को संज्ञान लिया और सिराथू एसडीएम को तत्काल दृष्टि हीन लवकुश समेत अन्य लोगों को कंबल उपलब्ध कराने के निर्देश दे दिए। अब एसडीएम के आदेश पर दृष्टि हीन लवकुश समेत अन्य लोगों को कंबल दे दिए गए। अब जिला प्रशासन ने बुजुर्ग लवकुश मौर्य को दो कंबल दिए हैं। 

तहसीलदार का आया बयान

ये मामला सामने आया तो तहसीलदार अंनतराम अग्रवाल का बयान सामने आया है। तहसीलदार ने कहा कि तहसील दिवस में लवकुश मौर्य आए थे। जिस समय वह यहां आए थे, उस समय तहसील में कंबल उपलब्ध नहीं थे। उनसे कहा गया था कि थोड़े दिन बाद कंबल आ जाएंगे तो दे दिए जाएंगे। अब उनको कंबल मिल गया है।

तहसीलदार ने बताया, तहसील को 1322 कंबल मिले हैं। तहसील में 297 गांव हैं और लेखपालों को कंबल दे दिए गए हैं, जिससे वह गरीबों में कंबल बांट दें। हमारे पास सीमित कंबल थे, जिनको बांट दिया गया था।

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