राजेश साहनी प्रकरण: सीबीआई जांच से कई चेहरों के उड़े तोते, सीएम ने दिखाया डीजीपी को आईना
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी.. तीन दिनों से यूपी में आग के गोले की तरह तप रहे एटीएस के एएसपी राजेश साहनी आत्महत्या प्रकरण में सीएम ने सीबीआई जांच कराने का आदेश देकर कई चेहरों के तोते उड़ा दिये हैं। कई ऐसे चेहरे हैं जो नही चाहते थे कि इस मामले में सीबीआई जांच हो.. आखिर कौन हैं ये चेहरे और इस नापाक इरादे के पीछे इनका मकसद क्या है? डाइनामाइट न्यूज़ की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट..
नई दिल्ली: सबसे पहले डाइनामाइट न्यूज़ ने 29 मई को रात 9 बजकर 46 मिनट की अपनी खबर क्या आत्महत्या के लिए यूपी एटीएस के एएसपी राजेश साहनी को किसी ने किया मजबूर? में इस बात का भंडाफोड़ किया था कि राजेश साहनी की आत्महत्या के पीछे एक बड़ी साजिश है। इस खबर में डाइनामाइट न्यूज़ ने दो बातें साफ लिखीं थी पहली.. आत्महत्या के लिए उकसाने के पीछे एटीएस में आने वाले दिनों में होने वाली करोड़ों की विभागीय खरीददारी का भ्रष्टाचार एक बड़ी वजह है और दूसरी एटीएस के आईजी असीम अरुण के गाली-गलौज और तानाशाही भरे रवैये के कारण उनके मातहतों में भयंकर आक्रोश है, जो कभी भी फूट सकता है। इस बात पर एटीएस के इंस्पेक्टर यतीन्द्र शर्मा ने अपने की इस्तीफे की पेशकश से मुहर लगा दी है।
गुरुवार को लखनऊ के भैंसाकुंड पर अंतिम संस्कार के दौरान साहनी के साथी पुलिसकर्मी सिर्फ इसी बात पर चर्चा करते रहे कि क्या इस मामले को सीबीआई को सौंपा जायेगा?
सीबीआई जांच के दौरान क्या अपने पद पर बने रहेंगे आईजी एटीएस असीम अरुण? सुनिये इस पर क्या कहा यूपी पुलिस के डीजीपी ओपी सिंह ने@PMOIndia @HMOIndia @CMOfficeUP @Uppolice #RajeshSahni #JusticeForRajeshSahni #IG #ATS #AsimArun pic.twitter.com/S9J5XBhT2S
— डाइनामाइट न्यूज़ (@DNHindi) May 31, 2018
चंद घंटे के भीतर डीजीपी के आदेश को पलटा सीएम ने
डाइनामाइट न्यूज़ को एटीएस के पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक घटना वाले दिन बुधवार को इस बात की पूरी तैयारी कर ली गयी थी कि मामले में आत्महत्या की रिपोर्ट दर्ज कर और दरोगा स्तर के आईओ से जांच कराकर इसे पारिवारिक एंगल देकर लीप-पोत दिया जाये। जब इसका भंडाफोड़ डाइनामाइट न्यूज़ पर हुआ और राजेश के साथी पुलिस कर्मियों ने दबाव बनाया तब डीजीपी ने अपना दामन बचाने के लिए गुरुवार को एजीडी लखनऊ जोन और एसएसपी, लखनऊ के नेतृत्व में जांच कराने की बात तो कही लेकिन यह नही बताया कि जांच कब तक पूरी कर ली जायेगी.. लेकिन यह क्या डीजीपी के इस दिखावटी जांच के आदेश के चंद घंटे के भीतर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को तलब किया और खरी-खोटी सुनाते हुए तत्काल सीबीआई जांच की सिफारिश का पत्र भारत सरकार के डीओपीटी मंत्रालय को भेजने का फरमान सुना दिया।
..तो शायद बढ़ जाती डीजीपी की इज्जत
डीजीपी के आदेश के चंद घंटे के भीतर सीएम ने जिस तरह से उनके आदेश को बदलते हुए सीबीआई जांच का हुक्म दिया उससे डीजीपी पानी-पानी हो उठे। महकमे के हेड ऑफ डिपार्टमेंट के रुप में यदि डीजीपी को अपने मातहतों के दर्द का एहसास होता और वे खुद ही सीबीआई जांच कराने की सिफारिश सीएम से करते तो शायद फोर्स में उनकी इज्जत बढ़ जाती। जानकार बताते हैं कि इस समय डीजीपी जयचंदों से घिरे हुए हैं और वे सही और गलत से ज्यादा.. चेहरे देखकर पसंद औऱ नापसंद के हिसाब से निर्णय कर रहे हैं। वैसे भी कल डीजीपी की अंतिम संस्कार के दौरान मुस्कुराने की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी, इसके बाद मातहत उन्हें और ज्यादा संदेह की नजर से देखने लगे।
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चार सफेदपोशों का दांव पड़ा उल्टा
कई आईपीएस और पीपीएस अफसरों ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि शासन में बैठे एक प्रमुख सचिव, पुलिस मुख्यालय में तैनात एक वरिष्ठ आईपीएस, लखनऊ पुलिस में तैनात एक आईपीएस और पुलिस महानिदेशक मुख्यालय में ही तैनात एक पीपीएस अफसर एटीएस के दिवंगत एएसपी राजेश साहनी को छोड़ आरोपों की जद में आये एटीएस के आईजी असीम अरुण के पक्ष में जमकर लाबिंग करने लगे कि किसी भी तरह सीबीआई जांच नही होनी चाहिये नही तो भ्रष्टाचार की राम कहानी सामने आ जायेगी। ये चारों एक तरह से ढ़ाल बनकर असीम को सीबीआई जांच से बचाने के लिए जमकर बैंटिंग करने लगे लेकिन इन सबको सीएम ने क्लीन बोल्ड कर दिया।
सीएम ने लिया डाइनामाइट न्यूज़ की खबर का संज्ञान
बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक सीएम ने डाइनामाइट न्यूज़ की खबर का संज्ञान लिया और इस बीच उनकी अपनी एजेंसियों ने भी उन्हें ताकीद किया कि इस मामले को लेकर असीम अरुण के खिलाफ बड़ी संख्या में आईपीएस, पीपीएस, इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर संवर्ग में आक्रोश है जिसे सीबीआई जांच से ही शांत किया जा सकता है।
इन्हीं जयचंदों ने उन्नाव प्रकरण में डीजीपी की करायी थी जमकर किरकिरी
यह संयोग ही है कि महज चंद दिनों पहले ही उन्नाव गैंगरेप कांड में डीजीपी का हर दांव उल्टा पड़ा था और इसमें उनकी जमकर भद पिटी थी। कहा जाता है इसके पीछे इन्हीं जयचंदों की गलत सलाह थी जिसके शिकार अंजाने में डीजीपी बन बैठे।
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गिरेगी गाज
सीएम से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की खबरों पर यकीन करें तो असीम की ढ़ाल बन उन्हें बचाने की नाकाम कोशिशों में जुटे रहे इन अफसरों पर सीएम जल्द ही बिजली बनकर टूटेंगे। इनमें सबसे पहली गाज आईजी एटीएस असीम अरुण पर गिरनी तय है।
खुदकुशी की जड़ में भ्रष्टाचार
डाइनामाइट न्यूज़ को विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि आईजी एटीएस ने आईएसआई एजेंट का बयान कराने की आड़ में बेहद स्वाभिमानी और ईमानदार पुलिस अफसर राजेश साहनी को परेशान करने की नीयत से जबरन छुट्टी से बुलाया था ताकि वे परेशान हों और करोड़ों रुपये की खरीददारी से जुड़ी फाइलों पर बिना किसी ना-नुकुर के अपनी सहमति देते जायें। खबर तो यहां तक है कि आत्महत्या के ठीक पहले जब साहनी.. असीम अरुण से मिलने उनके कमरे में गये तो वहां जमकर उनके साथ गाली-गलौज की गयी और इसकी गूंज बाहर मौजूद मातहतों ने भी सुनी।
क्यों नाम नोट करने को कहा आईजी एटीएस ने?
एटीएस के कर्मचारियों में इस बात को लेकर भी रोष है कि घटना के बाद तीन घंटे तक डेड बॉडी एटीएस दफ्तर में पड़ी रही और इस दौरान जब साहनी के शुभचिंतक मौके पर पहुंच रहे थे उन सबके नाम नोट करने के निर्देश असीम ने अपने एक मातहत को दिये।
आरोपों पर ये है आईजी एटीएस असीम अरुण का जवाब
अंतिम संस्कार के वक्त घाट पर मौजूद एटीएस के आईजी असीम अरुण से डाइनामाइट न्यूज़ ने उनका पक्ष जाना और खरीददारी से जुड़े सवाल पर बात की तो उन्होंने कहा कि साहनी वर्तमान में किसी खरीद प्रक्रिया से जुड़े नही थे और वैसे भी अभी तक तो बजट ही नही आया है तो खरीद कहां से होगी। जब उनसे पूछा गया कि छुट्टी पर होने के बावजूद क्यों राजेश को बुलाया गया तो उन्होंने इसका जवाब देने से इंकार कर दिया।