आदिवासी व्यक्ति पर झूठा मामला दर्ज करना पड़ा भारी, कोर्ट ने खारिज की वन अधिकारियों की जमानत याचिका
केरल उच्च न्यायालय ने इडुक्की के तीन वन अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में उन्होंने एक आदिवासी व्यक्ति को आपराधिक मामले में कथित रूप से फंसाने और उस पर हमला करने के मामले में गिरफ्तारी से छूट की मांग की थी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने इडुक्की के तीन वन अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में उन्होंने एक आदिवासी व्यक्ति को आपराधिक मामले में कथित रूप से फंसाने और उस पर हमला करने के मामले में गिरफ्तारी से छूट की मांग की थी।
अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया तीनों अधिकारियों के खिलाफ अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एसी-एसटी समुदाय के किसी सदस्य के खिलाफ झूठा मामला स्थापित करने के अपराध को स्पष्ट करने के लिए सामग्री थी।
इसमें कहा गया कि चौथे वन अधिकारी के खिलाफ भी अपराध बनाया गया था, लेकिन चूंकि वह अनुसूचित जाति समुदाय से था, इसलिए उस पर अधिनियम के तहत अपराध के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
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न्यायमूर्ति वी.जी. अरुण का आदेश इडुक्की के आठ वन अधिकारियों द्वारा अधिनियम के तहत अपराधों से निपटने वाली एक विशेष अदालत द्वारा उनकी अग्रिम जमानत को खारिज करने के खिलाफ दायर अपील पर आया था।
शेष पांच अधिकारियों की अपील का निपटारा इस निर्देश के साथ कर दिया गया कि वे पूछताछ के लिए उच्च न्यायालय के आदेश की तारीख 27 जून से दो सप्ताह के भीतर जांच अधिकारी के समक्ष आत्मसमर्पण करें।
न्यायमूर्ति अरुण ने थोड़ी राहत देते हुए यह भी निर्देश दिया कि पांच अधिकारियों की गिरफ्तारी की स्थिति में, उन्हें 50,000 रुपये के बांड और इतनी ही राशि की दो जमानत देने पर रिहा किया जाएगा।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अधिकारियों को मामले की जांच में सहयोग करने और मामले में शिकायतकर्ता या अन्य गवाहों को प्रभावित करने या डराने-धमकाने का प्रयास नहीं करने का निर्देश दिया गया।
शिकायतकर्ता, एक आदिवासी है जिसे पिछले साल सितंबर में लगभग दो किलोग्राम जंगली जानवरों का मांस कथित तौर पर रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जो उसके ऑटोरिक्शा से बरामद किया गया था।