बलिया के दिव्यांग लक्ष्मी साहनी ने रचा इतिहास, तैराकी में बनाया अनोखा रिकॉर्ड
बलिया के बांसडीह तहसील अंतर्गत हालपुर गांव निवासी राष्ट्रीय तैराक दिव्यांग लक्ष्मी साहनी ने वाराणसी के अस्सी घाट से बलिया तक का सफर गंगा नदी से साढ़े 17 घंटे में तैरकर बनाया रिकॉर्ड। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
बलिया: आपने सफलता की कहानी तो बहुत सुनी और देखी होगी, जिसमें कोई गरीब का बच्चा बिना माता–पिता या खुद मजदूरी करते हुए अपने सपने को साकार करता है। लेकिन आज हम एक ऐसी सफलता की कहानी बताने वाले हैं, जिसको सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे।
एक ऐसा शख्स, जो दोनों पैरों से दिव्यांग है, लेकिन हौसले कितने बुलंद हैं, ये देखकर आसपास के युवाओं में जोश, उत्साह और उमंग भर गया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस दिव्यांग ने उस दिशा में अपना परचम लहराया, जो कठिन ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है। हम जिले के हालपुर निवासी राष्ट्रीय तैराक 75% दिव्यांग लक्ष्मी साहनी की बात कर रहे हैं, जिसने वाराणसी के अस्सी घाट से बलिया तक का सफर गंगा नदी से साढ़े 17 घंटे में तैरकर रिकॉर्ड बनाया था। यही नहीं, एक मिनट में 50 मीटर तैराकी का मिसाल भी कायम किया।
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बचपन से ही दिव्यांग
बलिया के बांसडीह तहसील अंतर्गत हालपुर गांव निवासी राष्ट्रीय तैराक दिव्यांग लक्ष्मी साहनी ने लोकल 18 से कहा कि मैं बचपन से ही दिव्यांग हूं। अभी तक मुझे ओलंपिक में पांच से अधिक स्वर्ण पदक के साथ रजत पदक भी मिले हैं। मेरे पिता भी 2021 में मेरा साथ छोड़कर भगवान को प्यारे हो गए।
नहीं थे दोनों पैर, लेकिन सपना था आसमान छूने का
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दिव्यांग साहनी ने Local18 को बताया कि मैं बहुत साधारण परिवार का रहने वाला हूं। बचपन से दोनों पैर तो नहीं थे, लेकिन सपना था कि मैं वह काम करूं, जो ऐसी स्थिति में करना असंभव माना जाता है। मैंने पहले अपने गांव की छोटी बड़ी नदियों में प्रयास किया, मेरे कुछ मित्रों ने साथ दिया और मैं तैरना सीखा।