Shardiya Navratri: शरदीय नवरात्रि का पहला दिन आज; जानिये मां शैलपुत्री की पूजन विधि, मंत्र और कहानी, मनोकामनाएं होंगी पूरी

शरदीय नवरात्रि का आज पहला दिन है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये मां शैलपुत्री की कहानी, पूजन विधि, मंत्र उच्चारण और मां शैलपुत्री के मंदिर बारे में।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 14 October 2023, 5:58 PM IST
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नई दिल्ली: शरदीय नवरात्री का आज पहला दिन है। देवी के नौ रूपों की अराधना का आरंभ से हो गया है। हिंदू मान्यताओं में इन नौ दिनों में देवी मां की पूजा का विशेष महत्व होता है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन घटस्थापन के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन, अर्चन और स्तवन किया जाता है।

डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये मां शैलपुत्री की कहानी, पूजन विधि, मंत्र उच्चारण और मां शैलपुत्री के मंदिर बारे में।

पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म

शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। पार्वती के रूप में इन्हें भगवान् शंकर की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है। वृषभ (बैल) इनका वाहन होने के कारण इन्हें वृषभारूढा के नाम से भी जाना जाता है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में इन्होंने कमल धारण किया हुआ है। नवरात्रि के पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है।

इसलिए पड़ा शैलपुत्री नाम

शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय के घर में ये पुत्री रूप में जन्मी थीं। इसीलिए इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। मां के इस रूप में दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प है। मां के इस स्वरूप को सौभाग्य और शांति का प्रतीक माना जाता है। शैलपुत्री का शाब्दिक अर्थ पर्वत की पुत्री है। उन्हें सती, भवानी, पार्वती और हेमवती के नाम से जाना जाता है।

मां शैलपुत्री को लगाये ये भोग
मां शैलपुत्री को सफेद बर्फी का भोग लगाना चाहिए। माता के सामने घी का दीपक जलाएं। एक लाल चुनरी में 5 प्रकार के सूखे मेवे चढ़ाएं और देवी को अर्पित करें। इसके साथ ही 5 सुपारी एक लाल कपड़े में बांधकर माता के चरणों में चढ़ाएं।

मनोकामनाएं होंगी पूरी

यह भी मान्यता है कि मां शैलपुत्री को शुद्ध देसी घी बहुत पसंद है और इसलिए उन्हें देसी घी का भोग लगाया जाता है। आप जो भी भोग उनके लिए तैयार करें, उसे शुद्ध घी से बनाएं और फिर देखें माता आपकी मनोकामनाएं कैसे पूरी करती हैं।

मां शैलपुत्री की पूजा का मंत्र (Maa Shailputri Puja Mantra)

ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः।। या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।। वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

मां शैलपुत्री मंदिर (Shailputri Temple)
यह पवित्र मंदिर किसी और जगह नहीं बल्कि शिव की नगरी यानी वाराणसी शहर में मौजूद है। इस पवित्र मंदिर में नवरात्रि के पहले ही दिन से भक्तों की भीड़ उमड़ने लगती हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में मां का दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।

मां दुर्गा के 'शैलपुत्री' के साक्षात दर्शन

मां दुर्गा के 'शैलपुत्री' रूप वाला पहला मंदिर वाराणसी के अलईपुर में है। यह प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर सिटी स्टेशन से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर है। लोगों का मानना है कि मां शैलपुत्री खुद इस मंदिर में विराजमान हैं। मान्यता यह भी है कि वे वासंती और शारदीय नवरात्र के पहले दिन भक्तों को साक्षात दर्शन देती हैं।

मां शैलपुत्री की अर्चना करने से सुख समृद्धी का वास होता है। 

 

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