अर्थी में इस्तेमाल होने वाले बांस के डंडों से श्मशान घाट के चारों ओर लगाई गई बाड़, जानिये इस नेक पहल के बारे में
महाराष्ट्र के नागपुर शहर में एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने अर्थी में इस्तेमाल होने वाले बांस के डंडों से एक श्मशान घाट के चारों ओर बाड़ लगाई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर शहर में एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने अर्थी में इस्तेमाल होने वाले बांस के डंडों से एक श्मशान घाट के चारों ओर बाड़ लगाई है।
इस कार्य को पर्यावरण-अनुकूल पहल के रूप में देखा जा रहा है।
नागपुर नगर निगम (एनएमसी) ने एनजीओ ‘इको फ्रेंडली लिविंग फाउंडेशन’ के प्रयासों की सराहना की है। यह एनजीओ पिछले कुछ वर्षों से कृषि-कचरे का उपयोग करके पर्यावरण के अनुकूल अंतिम संस्कार को बढ़ावा दे रहा है।
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एनजीओ के अध्यक्ष विजय लिमये ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि वे देख रहे थे कि दाह संस्कार के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले बांस के डंडे या तो फेंक दिए जाते थे या जला दिए जाते थे।
लिमये ने कुछ स्वयंसेवकों के साथ, शवों को दाह संस्कार के लिए लाए जाने के बाद बचे हुए बांस के डंडे इकट्ठे करने शुरू कर दिये। उन्होंने बताया कि उन्होंने लोगों को अर्थी में इस्तेमाल होने वाले बांस के डंडे न जलाने के लिए भी मनाया और उन्हें इकट्ठा किया।
उन्होंने बताया, “हमने पिछले चार से पांच महीनों में अंबाजरी श्मशान घाट से लगभग 700 बांस के डंडे इकट्ठा किए। पिछले 20-25 दिनों से हमने श्मशान घाट के बगीचे की सुरक्षा और सौंदर्यीकरण के लिए इकट्ठा किए गए बांस के डंडों से बाड़ बनाने का काम शुरू किया।”
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लिमये ने बताया कि मेलघाट के, बांस शिल्प कला में पारंगत छह आदिवासी कारीगरों ने बाड़ बनाई, जिसे श्मशान घाट के चारों ओर लगाया गया है। उन्होंने बताया कि बांस से बाड़ बनाने के लिए कारीगरों को 50,000 रुपये का भुगतान किया गया।
श्मशान घाट तीन एकड़ में फैला हुआ है और इसमें एक बगीचा और पेड़ भी हैं।
नागपुर नगर निगम के उद्यान अधीक्षक अमोल चौरपागर ने बताया कि एनजीओ ने बहुत अच्छा काम किया है।