छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं की जिम्मेदारी पूरे सभ्य समाज की, शिक्षा मंत्री के नाते मेरी भी जिम्मेदारी: प्रधान

डीएन ब्यूरो

शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या की घटनाएं दुखद हैं और इसके लिए पूरे सभ्य समाज की जिम्मेदारी बनती है तथा वह व्यक्तिगत रूप से एवं शिक्षा मंत्री के तौर पर भी इसका दायित्व लेते हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान
शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान


नयी दिल्ली: शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या की घटनाएं दुखद हैं और इसके लिए पूरे सभ्य समाज की जिम्मेदारी बनती है तथा वह व्यक्तिगत रूप से एवं शिक्षा मंत्री के तौर पर भी इसका दायित्व लेते हैं।

प्रधान ने तेलंगाना में जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित विधेयक पर चर्चा के जवाब के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय के रोहित बेमुला कांड का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या की घटनाएं सभ्य समाज के लिए दु:खद हैं और मैं इसका दायित्व व्यक्तिगत तौर पर और शिक्षामंत्री के तौर पर भी लेता हूं।’’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘क्या हम इसमें राजनीति करेंगे। किसी भी परिसर में, सरकार किसी की भी, यदि किसी बच्चे की जान जाती है तो हम सभ्य समाज के लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं। मैं जिम्मेदार हूं। मैं मुंह छिपाने वाला नहीं हूं। मेरे नेता के संस्कार ऐसे नहीं हैं। हम समस्या की जड़ में जाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि सरकार ने विदेशों के गुणात्मक संस्थानों का भारत में परिसर खोलने की अनुमति दी है और इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से कायदे-कानून भी तय किये जा चुके हैं।

उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के उलोंगोंग और डीकेन विश्वविद्यालयों के परिसर भारत में खोले जाने को अनुमति दी गयी है और अब कम खर्च में विदेशी विश्वविद्यालयों की पढ़ाई यहीं संभव हो सकेगी।

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ‘सरक्का समक्का जनजातीय विश्वविद्यालय’ की स्थापना से संबंधित ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2023’ को ध्वनि मत से पारित कर दिया।

जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना में हुई देरी के बारे में उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार की ओर से स्थान निर्धारित नहीं हो पाने के कारण इसमें विलंब हुआ।

उन्होंने कहा कि बार-बार आग्रह किये जाने के बाद तेलंगाना के मुलुगू में यह जगह दी गयी है, जहां 900 करोड़ रुपये की लागत से विश्वविद्यालय स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा।

प्रधान ने पूर्ववर्ती सरकारों पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा सरकार नारे के माध्यम से शासन व्यवस्था नहीं चलाती, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार करने में विश्वास रखती है।

केंद्रीय मंत्री ने ‘ड्रॉप आउट’ को लेकर सदस्यों के आंकडों को अर्द्धसत्य करार देते हुए कहा कि विभिन्न विकल्पों की तलाश और घर-परिवार की परिस्थितियों के कारण बीच में पढ़ाई छोड़ना भी इसकी महत्वपूर्ण वजह होती है।

उन्होंने कहा कि कोरापुट और अमरकंटक स्थित जनजातीय विश्वविद्यालयों के पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि वहां कभी भी निर्धारित प्रतिशत के नीचे आदिवासी छात्रों की संख्या नहीं रही।

उन्होंने कहा कि 2014-15 की तुलना में हाल के वर्षों में महिला पीएचडी शोधार्थियों की संख्या में 106 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।

प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आठवीं तक भारतीय भाषाओं में पढ़ाई की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य नौकरी मांगने वाला बनाने की बजाय नौकरी सृजित करने वाला बनाना है।










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