सुप्रीम कोर्ट ने कहा जाति या धर्म का उल्लेख करने की परंपरा बंद हो

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अदालती मामलों में वादियों की जाति या धर्म का उल्लेख करने की प्रथा बंद होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने अपनी रजिस्ट्री और अन्य सभी अदालतों को भी इस पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

उच्चतम न्यायालय
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अदालती मामलों में वादियों की जाति या धर्म का उल्लेख करने की प्रथा बंद होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने अपनी रजिस्ट्री और अन्य सभी अदालतों को भी इस पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया कि उच्च न्यायालयों या अधीनस्थ अदालतों के समक्ष दाखिल किसी भी याचिका में पक्षों के मेमो में वादी की जाति या धर्म का उल्लेख नहीं होना चाहिए।

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पीठ ने कहा, ‘‘हमें इस अदालत के समक्ष या किसी भी अधीनस्थ अदालत के समक्ष किसी वादी की जाति या धर्म के उल्लेख का कोई कारण नजर नहीं आता। इस तरह की परिपाटी रुकनी चाहिए और तत्काल बंद होनी चाहिए।’’

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शीर्ष अदालत ने राजस्थान की एक कुटुम्ब अदालत में लंबित एक वैवाहिक विवाद में मामले को स्थानांतरित करने की अनुमति देते हुए आदेश सुनाया।

शीर्ष अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई के पक्षों के मेमो में पति और पत्नी दोनों की जातियों का उल्लेख किया गया है।










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