प्रशांत कन्‍नौजिया मामले में बैकफुट पर आई यूपी पुलिस, डीजीपी ने नहीं दिया पत्रकारों के सवालों का जवाब

उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पर कथित आपत्तिजनक वीडियो शेयर करने पर गिरफ्तार किए गए पत्रकार प्रशांत कन्‍नौजिया पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से उत्‍तर प्रदेश का पुलिस प्रशासन पूरी तरह से बैकफुट पर आ गया है। लखनऊ के लोकभवन में किसी बैठक में शामिल होने पहुंचे यूपी डीजीपी भी प्रशांत मामले पर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिए बिना बचकर निकल गए।

Updated : 11 June 2019, 2:58 PM IST
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नई दिल्‍ली: पत्रकार प्रशांत कन्‍नौजिया को तत्‍काल छोड़ने और यूपी सरकार को फटकार के बाद से उत्‍तर प्रदेश की पुलिस बैकफुट पर आ गई है। आज इसी मुद्दे पर लखनऊ के लोकभवन पहुचे यूपी डीजीपी से पत्रकारों ने सवाल किए लेकिन वह बिना कोई जवाब दिए वहां से निकल गए। 

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दरअसल यह पहले ही माना जा रहा था कि यूपी सरकार और यूपी पुलिस के लिए लिए इस मामले में कोर्ट में उठने वाले सवालों का जवाब देना आसान नहीं होगा। क्योंकि पुलिस कई धाराओं के तहत आनन-फानन में एफआईआर दर्ज कर कथित रूप से बिना वारंट के प्रशांत को दिल्ली से यूपी की राजधानी लखनऊ ले गई। यही बात कई सवाल खड़े करती थी।

प्रशांत कन्‍नौजिया मामला अब यूपी सरकार के लिए पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के कार्टून शेयर करने वाली लड़की प्रियंका शर्मा की तरह का मामला बनता जा रहा है। प्रशांत की पत्‍नी जगीशा अरोड़ा ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर कई सवाल उठाए थे। इन सवालों में प्रमुख हैं भारतीय दंड संहिता की धारा 500 और आईटी एक्ट की धारा 66 और 67।

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उनका कहना था कि आईटी एक्ट की धारा 66 के प्रावधान इन पोस्ट के मामले में लागू नहीं होते क्योंकि किसी तरह की कोई अश्लीलता या भड़काने वाली सामग्री इसमें नहीं है। इसके अलावा आईपीसी की धारा 500 और 505 के तहत प्रशांत ने किसी तरह की धार्मिक या जातीय भावनाएं भड़काकर लोगों को उकसाया नहीं और न ही कोई अफवाह फैलाई है।

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इस मामले की सुनवाई में आज सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को तगड़ी फटकार लगाई और तत्‍काल रिहा करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नागरिक की स्वतंत्रता पूरी तरह अक्षुण्ण है और इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता। यह संविधान की ओर से दी गई है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता।

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वहीं जस्टिस बनर्जी ने कहा, उसने कोई हत्‍या नहीं की है। हम एक ऐसे देश में रह रहे हैं जिसका संविधान है। हम उनके ट्वीट की सराहना नहीं करते हैं लेकिन जेल में नहीं डाला जा सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि आदेश कनौजिया के ट्वीट के समर्थन में नहीं है।

Published : 
  • 11 June 2019, 2:58 PM IST

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