लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों की मुसीबतों से सुप्रीम कोर्ट भी नाराज, सरकारों को नोटिस

डीएन ब्यूरो

देश में लॉकडाउन के कारण विभिन्न तरह की परेशानियों से जूझ रहे प्रवासी मजूदूरों को लेकर सरकार द्वारा की जा रही व्यवस्थाएं पहले से ही सवालों के घेरे में है। अब देश की शीर्ष अदालत ने भी इसके लिये राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है।

फाइल फोटो
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नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण विभिन्न तरह की परेशानियों में घिरे प्रवासी मजूदूरों की दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जतायी है। देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले में मंगलवार को मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लिया और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया। इस मामले में केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य सरकारों से उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जानकारी मांगी गयी है। मामले की अगली सुनवाई गुरूवार को होगी।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जस्टिस संजय किशन कौल, अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि अभी भी प्रवासी मजदूर देश की सड़कों, हाईवे, रेलवे स्टेशनों और राज्यों की सीमाओं पर बैठे हैं। उनके लिए पर्याप्त परिवहन समेत अन्य जरूरी व्यवस्थाएं नहीं की गई है। जीवन के लिये जरूरी रहने और खाने की उचित व्यवस्था का इंतजाम सरकारों द्वारा नहीं किया गया है।  

शीर्ष अदालत ने मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि देश भर में प्रवासी मजदूर अपने घरों को जाने के लिये सड़कों पर पैदल या साइकिल इत्यादी के जरिये चल रहे हैं। इसी वर्ग को सबसे अधिक मदद की जरूरत है। केंद्र और राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को इस विषम परिस्थितियों में इन मजदूरों की हरसंभव मदद करनी चाहिए। 

शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मजदूरों की मदद के लिये किये जा रहे प्रयासों की जानकारी मांगी है, ताकि मजदूर वर्ग को मदद देनी सुनिश्चित की जा सके। मामले की अगली सुनवाई गुरूवार को तय की गयी है।
 










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