दिल्ली में बाइक टैक्सी योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिये ये आदेश, जानिये पूरा अपडेट
उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में ऐप आधारित बाइक-टैक्सी सेवा (एग्रीगेटर) को विनियमित करने के लिए ‘दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना’ को अंतिम रूप देने के वास्ते आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को दी गयी मोहलत सोमवार को 30 सितंबर तक बढ़ा दी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में ऐप आधारित बाइक-टैक्सी सेवा (एग्रीगेटर) को विनियमित करने के लिए ‘दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना’ को अंतिम रूप देने के वास्ते आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को दी गयी मोहलत सोमवार को 30 सितंबर तक बढ़ा दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने समय विस्तार की मांग करने वाली दिल्ली सरकार की याचिका स्वीकार कर ली।
पीठ ने कहा, “आवेदन स्वीकार किया जाता है और दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना, 2023 पर अधिसूचना जारी करने के लिए समय सीमा 30 सितंबर, 2023 तक बढ़ाई जाती है।”
यह भी पढ़ें |
Supreme Court: युवा कांग्रेस अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास के लिए राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी अग्रिम जमानत
पीठ ने सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील से नीति को अंतिम रूप देने में देरी का कारण पूछा।
वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि एक सुदृढ़ नीति पर काम चल रहा है, लेकिन इसमें कुछ और समय लगेगा।
उच्चतम न्यायालय ने 12 जून को उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर ‘रैपिडो’ और ‘उबर’ को राष्ट्रीय राजधानी में परिचालन की अनुमति दी गई थी और दिल्ली सरकार से कहा गया था कि नयी नीति बनाये जाने तक उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।
यह भी पढ़ें |
प्रत्येक नागरिक को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए,जानिये पूरा अपडेट
दिल्ली उच्च न्यायालय के 26 मई के आदेश पर रोक लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील की यह दलील भी दर्ज की कि अंतिम नीति को जुलाई के अंत से पहले अधिसूचित किया जाएगा।
शीर्ष अदालत आप सरकार की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उच्च न्यायालय के इस आदेश को चुनौती दी गई थी कि अंतिम नीति अधिसूचित होने तक बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर्स के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।