

झारखंड में राज्य सरकार की रोजगार नीति के खिलाफ छात्र संगठनों द्वारा सोमवार को बुलाए गए बंद का कोई असर देखने को नहीं मिला क्योंकि इक्के-दुक्के बंद समर्थक ही सड़कों पर दिखे तथा बाजार एवं कार्यालय खुले रहे। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
रांची: झारखंड में राज्य सरकार की रोजगार नीति के खिलाफ छात्र संगठनों द्वारा सोमवार को बुलाए गए बंद का कोई असर देखने को नहीं मिला क्योंकि इक्के-दुक्के बंद समर्थक ही सड़कों पर दिखे तथा बाजार एवं कार्यालय खुले रहे।
छात्र 60:40 अनुपात वाली रोजगार नीति को रद्द करने और वर्ष 1932 के खातियान (भू रिकॉर्ड) को नीति का आधार बनाने की मांग कर रहे हैं।
छात्र संगठनों के बंद के बावजूद दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान, सरकारी व निजी कार्यालय खुले रहे और सड़कों पर भी आम दिनों की तरह यातायात रहा।
वहीं, बंद के मद्देनजर रांची के कई स्कूलों ने पहले ही एहतियातन सोमवार को छुट्टी घोषित कर दी थी।
‘झारखंड यूथ एसोसिएशन’ के बैनर तले छात्र संगठनों ने रविवार शाम को मशाल जुलूस निकाला था और कारोबारियों और दुकानदारों से बंद को समर्थन देने का अनुरोध किया था।
गौरतलब है कि राज्य मंत्रिमंडल ने तीन मार्च को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा संबंधी कई नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी थी।
अधिकतर छात्र संगठनों के साझा मंच झारखंड स्टेट स्टुडेंट यूनियन (जेएसएसयू) ने बंद में हिस्सा नहीं लिया था क्योंकि उसने राज्य के शिक्षमंत्री जगरनाथ महतो के निधन की वजह से अपने कार्यक्रम को स्थगित कर 19 अप्रैल कर दिया है।
हालांकि, पूर्व में जेएसएसयू और जेवाईए ने संयुक्त रूप से 10 अप्रैल को झारखंड में बंद बुलाने का फैसला किया था।
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