स्कूल करीब होने के मानदंड का सख्ती से पालन हुआ तो ईडब्ल्यूएस श्रेणी का मकसद पूरा नहीं होगा: अदालत

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि विद्यालयों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और वंचित वर्ग (सीजी) के लिए सीटों के आरक्षण का पूरा उद्देश्य विफल हो जाएगा यदि उनके लिए सीटों को समीप में रहने के मानदंड के आधार पर बेकार जाने दिया जाता है।

अदालत (फाइल)
अदालत (फाइल)


नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि विद्यालयों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और वंचित वर्ग (सीजी) के लिए सीटों के आरक्षण का पूरा उद्देश्य विफल हो जाएगा यदि उनके लिए सीटों को समीप में रहने के मानदंड के आधार पर बेकार जाने दिया जाता है।

उच्च न्यायालय ने एक विद्यालय को उससे कुछ दूरी पर रहने वाले दो छात्रों को प्रवेश देने का आदेश सुनाते हुए यह बात कही। उसने कहा कि इन श्रेणियों में सीटें सीमित हैं, जबकि मांग बहुत ज्यादा है।

अदालत ने कहा कि इसलिए ईडब्ल्यूएस या डीजी श्रेणी के तहत प्रवेश के लिए सीटों के आवंटन में शिक्षा निदेशालय द्वारा सख्ती से पड़ोस के मानदंड को अपनाना संभव नहीं है।

न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्ण ने कहा, ‘‘अदालत इस बात का संज्ञान लेती है कि वर्तमान सामाजिक परिवेश में ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी में प्रवेश की मांग इस श्रेणी के तहत आवंटन के लिए उपलब्ध सीटों की संख्या की तुलना में बहुत ज्यादा है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, यदि किसी स्कूल विशेष में ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी में सीटें उपलब्ध हैं तो शिक्षा निदेशालय के लिए आवश्यक है कि इस श्रेणी के तहत प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों को इस तरह के स्कूलों में सीटें आवंटित कराई जाएं।’’

अदालत का आदेश दो आवेदकों की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिन्हें दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित ‘ड्रॉ’ के तहत कक्षा एक में ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत ‘हैप्पी आवर्स स्कूल’ आवंटित किया गया था, लेकिन स्कूल ने प्रवेश देने से मना कर दिया था।

दोनों ने अनुरोध किया था कि स्कूल को उन्हें इस श्रेणी के तहत दाखिला देने का निर्देश दिया जाए।

स्कूल के वकील ने कहा कि उनके आवास विद्यालय से करीब चार किलोमीटर दूर हैं और चूंकि वे स्कूल के करीब घर होने के मानदंड को पूरा नहीं करते, उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा सकता।

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वकील ने कहा कि स्कूल उन इलाकों में बस आदि की सेवा मुहैया नहीं कराता जहां याचिकाकर्ता रहते हैं।

वहीं, आवेदकों के वकील ने कहा कि वे स्कूल में पढ़ने के लिए चार किलोमीटर की दूरी तय करके आने को तैयार हैं।

अदालत ने स्कूल की आपत्तियों को खारिज कर दिया और उसे निर्देश दिया कि दोनों बच्चों को तत्काल ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत पहली कक्षा में प्रवेश दिया जाए।

 










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