हिमाचल प्रदेश में क्यों लागू होने जा रहा है स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014?
हिमाचल प्रदेश में अब स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 सख्ती से लागू होगा। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की ये रिपोर्ट।
शिमला: हिमाचल प्रदेश में स्ट्रीट वेंडर एक्ट (Street Vendor Act) 2014 सख्ती से लागू होगा। तहबाजारी अपनी मर्जी से अब जहां-तहां नहीं बैठ सकेंगे। केंद्र सरकार के इस एक्ट को लागू करने की तैयारी में प्रदेश की अफसरशाही अब जुट गई है। नगर निगम शिमला में साल 2016-17 में इस एक्ट को लागू किया था। शिमला नगर निगम (Shimla Nagar Nigam) देश में ऐसा पहला निगम है, जिसने एक्ट को लागू किया, लेकिन यह एक्ट फाइलों में दम तोड़ रहा है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक शिमला में तहबाजारियों की समस्या बढ़ गई है। राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों ने बताया कि स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 को अब पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
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तहबाजारियों के बैठने के लिए स्थान तय
शिमला, धर्मशाला, सोलन (Solan), मंडी (Mandi) और पालमपुर नगर निगम सहित सभी नगर निकाय क्षेत्रों में तहबाजारियों के बैठने के लिए स्थान अब तय किए जाएंगे। दुकानों के आगे तहबाजारियों को बैठाने पर पूर्ण रोक लगेगी। नो वेंडिंग जोन में अगर कोई तहबाजारी बैठा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई जाएगी। अधिसूचित होने वाले वेंडिंग जोन (Vending Zone) में सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
आने वाले दिनों में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से गठित की जाने वाली स्ट्रीट वेंडिंग कमेटी को एक्ट से अवगत कराया जाएगा। कमेटी के सुझावों को लेकर पूरे प्रदेश में यह सख्ती से लागू किया जाएगा। नगर निगम शिमला के पूर्व मेयर संजय चौहान (Sanjay Chauhan) ने बताया कि 2016-17 में शिमला में 583 तहबाजारियों की सूची तैयार की गई थी। इन्हें बैठाने के लिए स्थान भी तय किए थे, लेकिन 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को सचिवालय में हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान इसकी पूरी जानकारी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को दी गई।
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तहबाजारियों से दिक्कतें
राजधानी शिमला सहित प्रदेश के जिला मुख्यालयों के बाजारों में तहबाजारियों के चलते दिक्कतें आ रही हैं। स्थानीय कारोबारी इन तहबाजारियों को अवैध तरीके से अपनी दुकानों के आगे बैठाने का किराया वसूलते हैं। इस कारण बाजार संकरे होते जा रहे हैं।सरकार ने अब स्ट्रीट वेंडर एक्ट को सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है। इसके लिए नीति बनाने को विधानसभा अध्यक्ष के माध्यम से एक कमेटी का गठन किया जाना है।