भारत को मिली एक और कामयाबी, इसरो ने GSLV मार्क-3 का किया सफल प्रक्षेपण

डीएन संवाददाता

श्रीहरिकोटा से सोमवार को वीइकल जीएलएलवी मार्क-3 सैटेलाइट लॉन्च किया गया। इससे पीएम मोदी के सपने डिजिटल भारत को मजबूती मिलेगी।

जीएलएलवी मार्क-3 का सफल प्रक्षेपण
जीएलएलवी मार्क-3 का सफल प्रक्षेपण


श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारी भरकम सैटेलाइट लॉन्च वीइकल जीएलएलवी मार्क-3 को प्रक्षेपित कर एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। भारत के सबसे वजनी रॉकेट को सोमवार को शाम 5:28 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। इसका वजन करीब 640 टन है। यह भूस्थैतिक कक्षा में 4000 किलो तक का पेलोड ले जा सकता है। जीएसएलवी मार्क-3 अन्य देशों के चार टन श्रेणी के उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की दिशा में भारत के लिए अवसर खोलेगा।

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रॉकेट 3,136 किलोग्राम वजनी जीएसएटी-19 कम्युनिकेशन सैटेलाइट के साथ उड़ान भरा। जिसे पृथ्वी से 36,000 किलोमीटर की दूरी पर रखा जाएगा। रॉकेट करीब 15 साल के लिए विकसित किया गया है जिसके निर्माण में 300 करोड़ का खर्च आया है। वहीं वैज्ञानिकों ने इसे ‘राक्षस रॉकेट’ का नाम दिया है। रॉकेट में 4 टन तक के सैटेलाइट को लॉन्च करने की क्षमता है। बता दें कि वर्तमान समय में भारत अगर 2.3 टन से अधिक वजन के सैटेलाइट लांच करता है तो इसके लिए विदेशी तकनीक की मदद लेनी पड़ेगी। लेकिन सबसे भारी रॉकेट को लॉन्च करने के बाद भारत खुद के दम पर 2.3 टन से ज्यादा वजनी सैटेलाइट को लॉन्च करने में सक्षम होगा।

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डिजिटल भारत को मिलेगी मजबूती

इसरो अध्यक्ष एस.एस. किरण कुमार ने कहा कि प्रक्षेपण के साथ ही डिजिटल भारत को मजबूती मिलेगी। ऐसी इंटरनेट सेवाएं मिलेगी जैसे पहले कभी नहीं मिलीं। केंद्र के निदेशक तपन मिश्रा ने इसे भारत के लिए संचार के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी उपग्रह बताया है। उन्होंने कहा कि अगर यह प्रक्षेपण सफल रहा तो अकेला जीसैट-19 उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित पुराने किस्म के 6-7 संचार उपग्रहों के समूह के बराबर होगा। फिलहाल अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित 41 भारतीय उपग्रहों में से 13 संचार उपग्रह हैं।

GSLV मार्क-3 की खास बातें

1. जीएसएलवी मार्क-3 का वजन पांच पूरी तरह से भरे बोइंग जम्बो विमान या 200 हाथियों के बराबर है।

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2. जीएसएलवी मार्क-3 देश का पहला ऐसा उपग्रह है जो अंतरिक्ष आधारित प्लेटफार्म का इस्तेमाल करके तेज स्पीड वाली इंटरनेट सेवाएं मुहैया कराने में सक्षम है।

3. देश ऐसी क्षमता विकसित करने पर जोर दे रहा है जो फाइबर ऑप्टिक इंटरनेट की पहुंच से दूर स्थानों को जोड़ने में महत्वपूर्ण हो।










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