Sonbhadra Crime: 9 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म, इतने साल बाद मिला न्याय, देखें क्या है मामला
साढ़े तीन साल पहले बकरी चराने जंगल में गई 9 साल की नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने आरोपी को दोषी पाया और सज़ा सुनाई। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
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सोनभद्र: साढ़े तीन साल पहले बकरी चराने जंगल में गई 9 साल की नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने आरोपी को दोषी पाया और सज़ा सुनाई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी लालबहादुर को 20 वर्ष की कठोर कैद एवं 55 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
अर्थदंड न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि 55 हजार रुपये में से 40 हजार रूपये पीड़िता को मिलेंगे।
क्या है मामला?
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अभियोजन पक्ष के मुताबिक जुगैल थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़िता के पिता ने 8 सितंबर 2021 को न्यायालय में धारा 156(3) सीआरपीसी के प्रार्थना पत्र में अवगत कराया था कि उसकी 9 वर्षीय नाबालिग बेटी 9 अगस्त 2021 को सुबह 10 बजे बकरी चराने जंगल गई थी। उसके साथ कई बच्चे भी बकरी चराने गए थे। जहां पर दोपहर करीब एक बजे उसकी नाबालिग बेटी को अकेला पाकर उसे लालबहादुर पुत्र हीरालाल ने पकड़ लिया और गंदी हरकत करने लगा। जब वह चिल्लाने लगी तो बकरी चरा रहे बच्चे वहां आ गए तो लालबहादुर उन्हें मारने के लिए दौड़ा तो सभी डरकर भाग गए।
उसके बाद लालबहादुर ने उसकी बेटी के साथ जबरन बलात्कार किया। चिल्लाने की आवाज सुनकर कई लोग आ गए तो जान से मारने की धमकी देकर लालबहादुर भाग गया। जब बेटी घर आई तो घटना की जानकारी दी। इसकी सूचना थाने पर दी गई, लेकिन पुलिस कार्रवाई करने की बजाय समझौता कराने लगी। तब रजिस्टर्ड डाक से एसपी सोनभद्र को शिकायती पत्र भेजा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 8 अक्टूबर 2021 के न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने 16 अक्टूबर 2021 को एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दी। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी।
आरोपी हुआ दोषी साबित
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, 7 गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी लालबहादुर को 20 वर्ष की कठोर कैद एवं 55 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
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अर्थदंड न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि 55 हजार रुपये में से 40 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।
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