हिंसा प्रभावित मणिपुर में धीरे-धीरे सुधर रहे हालात, कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुई ट्रकों की आवाजाही

डीएन ब्यूरो

हिंसा प्रभावित मणिपुर में आवश्यक वस्तुओं को लाने वाले ट्रकों की विशेष सुरक्षा के बीच आवाजाही जारी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूर्वोत्तर राज्य में जरूरी सामान की कोई कमी न हो। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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इंफाल: हिंसा प्रभावित मणिपुर में आवश्यक वस्तुओं को लाने वाले ट्रकों की विशेष सुरक्षा के बीच आवाजाही जारी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूर्वोत्तर राज्य में जरूरी सामान की कोई कमी न हो। रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने रविवार को यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक राज्य सरकार, मणिपुर पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ सेना तथा असम राइफल्स राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-37) के जरिए आवश्यक सामान ले जाने वाले वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपसी समन्वय के साथ काम कर रहे हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि सेना और असम राइफल्स के अलावा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), मणिपुर पुलिस और इंडिया रिजर्व बटालियन के जवान आवश्यक वस्तुओं से लदे सामान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात हैं तथा ड्रोन और चीता हेलीकॉप्टरों की मदद से हवाई निगरानी भी की जा रही है।

गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के दौरान मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी। सड़क जाम होने और वाहन संचालकों के बीच भय के चलते इंफाल घाटी में ट्रकों की आवाजाही रुक गई थी।

ट्रकों की आवाजाही रुकने से राज्य में जरूरी सामान का भंडार कम होने लगा और स्थिति गंभीर स्तर पर पहुंच गई। आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने के बाद कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए, जिसके बाद झड़पें हुईं।

मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और ये ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय समुदायों-नगा और कुकी समेत अन्य की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। इस हिंसा में 70 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

पूर्वोत्तर राज्य में हालात काबू में करने के लिए सेना तथा अर्द्धसैनिक बलों के करीब 10,000 कर्मियों को तैनात करना पड़ा।










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