Shardiya Navratri: नवरात्रि के छठे दिन इस तरह करें मां कात्यायनी देवी की पूजा, जानिये मंत्र और पूजा का विधान

डीएन ब्यूरो

नवरात्र की षष्ठी तिथि को मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की पूजा की जाती है। माता की उपासना से सुंदर रूप-काया और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है।डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये देवी कात्यायनी के बारे में

मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी
मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी


नई दिल्ली: नवरात्र की षष्ठी तिथि को मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की पूजा की जाती है। माता की उपासना से सुंदर रूप-काया और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। 

डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी के बारे में

बुद्धिमत्ता और शांति का प्रतीक

कात्यायनी देवी बुद्धिमत्ता और शांति का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि देवी कात्यायनी का आशीर्वाद उपासकों के पापों को धो सकता है, नकारात्मक शक्तियों को दूर कर सकता है और बाधाओं को दूर कर सकता है।

पसंद का पति पाने के लिए व्रत

इसके अलावा, जिस दिन नवरात्रि के दौरान मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, उस दिन अविवाहित लड़कियां अपनी पसंद का पति पाने के लिए व्रत रखती हैं। महर्षि कात्यायन ने देवी पराम्बा की कठोर तपस्या की।

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इसलिये पड़ा कात्यायनी नाम

महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी पराम्बा ने उन्हें वरदान दिया और उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुईं। महर्षि कात्यायन की पुत्री होने के कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा।इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं। 

मां कात्यायनी की पूजा विधि

पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प जरूर लें। इसके बाद वह फूल मां को अर्पित करें। फिर कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार माता को अर्पित करें। उसके बाद उनके प्रिय भोग शहद को अर्पित करें और मिठाई इत्यादि का भी भोग लगाएं।

रोग, शोक, संताप, भय का सर्वथा विनष्ट

माँ को जो सच्चे मन से याद करता है उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं। जन्म-जन्मांतर के पापों को विनष्ट करने के लिए माँ की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिए तत्पर होना चाहिए।

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कात्यायनी देवी का मंत्र 
कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।। जय जय अम्बे, जय कात्यायनी। जय जगमाता, जग की महारानी।

मां कात्यायनी का मंदिर

1  कात्यायनी शक्ति पीठ उत्तर प्रदेश के मथुरा के वृन्दावन में स्थित है। यह एक बहुत ही प्राचीन सिद्ध पीठ है जो वृन्दावन में राधाबाग के पास है।जिस स्थान पर कात्यायनी शक्ति पीठ है वहां माता सती के केश गिरे थे। किवदंती यह है कि भगवान श्रीकृष्ण को अपने वर रूप में प्राप्त करने के लिए राधारानी ने भी कात्यायनी माता की पूजा की थी। सालों भर यहां भक्त दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं। नवरात्र के दिनों में कात्यानी शक्ति पीठ में भक्तों की काफी भीड़ होती है।

2  कात्यायनी मंदिर दिल्ली गुड़गांव छतरपुर में स्थित यह दिल्ली का ही नहीं बल्कि पूरे भारत का एक प्रमुख मंदिर माना जाता है।

3  बिहार के खगड़िया जिले में मां का प्राचीन और सिद्ध पीठ स्थल है। यहीं ऋषि कात्यायन की तपस्थली भी रही है। नदियों के बीच सुदूर फरकिया इलाके में बसे मां कात्यायनी के दरबार की महिमा अपार है। मां दुर्गा के छठे रुप में जानी जाने वाली मां कात्यायनी के इस सुप्रसिद्ध मंदिर की ख्याति दूर देश तक है। 

51 शक्तिपीठ में से एक यह स्थल माता सती के सिद्ध पीठ के रूप में भी जाना जाता है। मान्यता है कि माता की दायीं भुजा यहीं गिरी थी। कहते हैं कि मां कात्यायनी भगवती की दांयी भुजा आज भी इस मंदिर में मौजूद है। जिसकी पूजा सदियों से होती आ रही है। 
 










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