Navratri Day 9: सिद्धिदात्री माता की पूजा की मुख्य वस्तुएं और प्रसिद्ध मंदिर

डीएन ब्यूरो

नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। जानें भारत में मौजूद सिद्धिदात्री माता के प्रमुख मंदिर के बारे में। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

सिद्धिदात्री माता
सिद्धिदात्री माता


नई दिल्ली: नवरात्रि का नौवां दिन महानवमी के रूप में जाना जाता है। इस दिन देवी दुर्गा के नवें स्वरूप माँ सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की आराधना का विधान है। माँ सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। उनका यह रूप भक्तों को ज्ञान, समृद्धि, और मोक्ष का आशीर्वाद देता है।

माँ सिद्धिदात्री को कमल के फूल पर आसीन दिखाया जाता है और उनके चारों ओर देवताओं और भक्तों की आराधना की जाती है। माँ सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से व्यक्ति जीवन की सभी समस्याओं से मुक्त होकर सुख और शांति प्राप्त करता है।

भक्तों के दुखों का होता है अंत

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महानवमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। इस दिन भक्तजन माँ सिद्धिदात्री की पूजा करके उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी दुखों का अंत होता है। इस दिन कई स्थानों पर कन्या पूजन की परंपरा भी होती है, जहाँ नौ कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर भोजन कराया जाता है और उनके चरण स्पर्श किए जाते हैं।

भक्तों को देता है नई ऊर्जा

महानवमी के दिन माँ की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तजन उपवास रखते हैं, हवन करते हैं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। इस दिन का महत्व यह भी है कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। माँ सिद्धिदात्री की पूजा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और उन्हें मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। महानवमी का दिन शुद्ध भक्ति, आस्था और शक्ति का प्रतीक है। यह नवरात्रि के समापन से पहले भक्तों को एक नई ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करता है, ताकि वे जीवन में सफलता और शांति प्राप्त कर सकें।

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सिद्धदात्री माता का प्रसिद्ध मंदिर

भोपाल (Bhopal) स्थित कोलार इलाके में एक छोटी सी पहाड़ी पर सिद्धदात्री माता का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। इस मंदिर को जीजीबाई मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।  लोग मन्नतें मांगने आते हैं और पूरी होने के बाद माता को नई चप्पल,जूते चढ़ाते हैं। चप्पल के साथ-साथ गर्मियों में मां दुर्गा को चश्मा, टोपी और घड़ी भी चढ़ाई जाती है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त माता के दर पर आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। 

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