इस राज्य में होगी एससीओ विदेश मंत्री स्तरीय बैठक, जानिये किन विषयों पर होगी चर्चा

डीएन ब्यूरो

भारत बृहस्पतिवार से गोवा में शुरू होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्री स्तर की दो दिवसीय बैठक की मेजबानी करेगा। यह बैठक ऐसे समय में आयोजित हो रही है जब यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस और पश्चिमी देशों में तानातनी है और चीन के विस्तारवादी रवैये को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: भारत बृहस्पतिवार से गोवा में शुरू होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्री स्तर की दो दिवसीय बैठक की मेजबानी करेगा। यह बैठक ऐसे समय में आयोजित हो रही है जब यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस और पश्चिमी देशों में तानातनी है और चीन के विस्तारवादी रवैये को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं।

इस बैठक की अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे जिसमें चीन के विदेश मंत्री छिन कांग, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी आदि शामिल होंगे। समझा जाता है कि बैठक में अफगानिस्तान के सम्पूर्ण हालात पर भी चर्चा हो सकती है जिसमें उन चिंताओं पर भी विचार किया जा सकता है जिसमें कहा जा रहा है कि तालिबान के शासन में यह देश आतंकवाद का पोषण स्थल बन सकता है।

इसके साथ ही तेजी से उभरती सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा हो सकती है। हालांकि, बैठक के दौरान इस बात पर खास नजर रहेगी कि एससीओ सम्मेलन से इतर जयशंकर और बिलावल के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक होती है या नहीं? भारत के गोवा में 4-5 मई, 2023 को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्री परिषद (सीएफएम) की बैठक आयोजित की जा रही है।

एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में हुई थी। एससीओ में चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत इस वर्ष के लिए समूह की अध्यक्षता कर रहा है। भारत और पाकिस्तान 2017 में चीन में स्थित एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे। भारत एससीओ संगठन के देशों में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में उभरा है।

इस संगठन में चीन और रूस प्रमुख देश हैं। इस संगठन को नाटो के विकल्प के तौर पर भी देखा जाता है। ऐसे में एससीओ का सदस्य होते हुए भी भारत चार देशों के संगठन क्वाड का भी सदस्य है। क्वाड में भारत के अलावा अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। रूस और चीन क्वाड का मुखर रूप से विरोध करते रहे हैं।

एससीओ बैठक की तैयारी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि संगठन में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा के अलावा कारोबार, निवेश, सम्पर्क जैसे विषय प्रमुखता से सामने आयेंगे। समझा जाता है कि आतंकवाद की चुनौतियों के अलावा यूक्रेन युद्ध के प्रभावों पर भी चर्चा हो सकती है। भारत एससीओ सम्मेलन की मेजबानी ऐसे समय में कर रहा है जब पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के कारण चीन के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हैं।

सूत्रों ने बताया कि बैठक में विदेश मंत्री वर्तमान भू राजनीतिक संकट की पृष्ठभूमि में क्षेत्र के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेंगे और सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का प्रभाव चर्चा पर नहीं पड़ेगा। जानकार सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री बैठक से इतर रूस, चीन और कुछ अन्य सदस्य देशों के अपने समकक्षों के साथ पृथक द्विपक्षीय बैठक कर सकते हैं। पाकिस्तान ने पहले ही घोषणा की है कि उसके विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भारत में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे।

अगर बिलावल भारत आते हैं तब वर्ष 2011 के बाद इस स्तर पर किसी भी पाकिस्तानी नेता का भारत का पहला उच्चस्तरीय दौरा होगा। उस वर्ष पाकिस्तान की विदेश मंत्री हीना रब्बानी खार भारत आई थी। अभी हीना रब्बानी विदेश राज्य मंत्री हैं। भारत ने पिछले सप्ताह एससीओ रक्षा मंत्री स्तरीय बैठक की मेजबानी की थी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, भारत, रूस, चीन और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अन्य सदस्य देशों ने शुक्रवार को नयी दिल्ली द्वारा आयोजित इस बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों और उससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा की थी। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग नहीं लिया था और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रक्षा मामलों पर विशेष सहायक मलिक अहमद खान ने डिजिटल तरीके से इसमें भाग लिया था।भाषा दीपक .

दीपक नरेशनरेश










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