भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पांच दिवसीय 'जन संघर्ष पदयात्रा' पर निकले सचिन पायलट
राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बढ़ाते हुए पार्टी नेता सचिन पायलट ने अपनी 'जन संघर्ष पदयात्रा' बृहस्पतिवार दोपहर को अजमेर से शुरू की।
जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बढ़ाते हुए पार्टी नेता सचिन पायलट ने अपनी 'जन संघर्ष पदयात्रा' बृहस्पतिवार दोपहर को अजमेर से शुरू की।
उन्होंने कहा कि उनकी यह पांच दिन की यात्रा 'भ्रष्टाचार के विरोध में' है और बताया कि 'अपनी आवाज उठाने, आपकी आवाज सुनने और जनता की आवाज बनने के लिए' यह यात्रा निकाली जा रही है। बड़ी संख्या में समर्थक, इस यात्रा में पायलट के साथ चल रहे हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यात्रा शुरू करने से पहले पायलट ने अजमेर में जयपुर रोड पर अशोक उद्यान के पास एक सभा की। इसमें उन्होंने कहा कि यात्रा किसी (व्यक्ति विशेष) के विरोध में नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया इसलिए उसे वहां बहुमत मिलने वाली है।
पायलट ने कहा, ‘‘अपनी आवाज उठाने के लिए, आपकी आवाज सुनने के लिए, जनता की आवाज बनने के लिए हम लोगों ने यह यात्रा निकाली है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जन संघर्ष यात्रा किसी के विरोध में नहीं है। जन संघर्ष यात्रा भ्रष्टाचार के विरोध में है। जन संघर्ष यात्रा नौजवानों के संरक्षण के लिए है। हमारे बच्चे बच्चियां पढ़ लिखकर उन पदों पर बैठें जहां से सब नीतियां बनती है।’’
यह यात्रा अजमेर से शुरू होकर जयपुर की ओर आएगी और लगभग 125 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। पहले दिन रात्रि विश्राम किशनगढ़ के तोलामल गांव में होगा।
पायलट ने यहां मंगलवार को इस यात्रा की घोषणा करते हुए कहा था कि वह भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते रहेंगे और 11 मई से अजमेर से जयपुर के बीच जन संघर्ष पदयात्रा निकालेंगे। पायलट के अनुसार इस घोषणा के बाद लोगों ने उनसे कहा कि आप इतनी कड़ी गर्मी में पदयात्रा करना चाहते हैं तो मैंने कहा, ‘‘राजनीति आग का दरिया है जिसे तैर कर पार करना पड़ेगा।’’
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दिवंगत पिता राजेश पायलट व मां रमा पायलट के राजनीतिक जीवन का जिक्र करते हुए सचिन पायलट ने कहा, ‘‘हमारी निष्ठा पर, हमारी ईमानदारी पर ... हमारे विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकते।’’
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने पेपर लीक और राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के सदस्य बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी के मुद्दे पर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा और पूछा कि कटारा की संपत्ति पर बुलडोजर क्यों नहीं चलाया गया जबकि इसी मामले में एक अन्य आरोपी की जयपुर स्थित संपत्ति पर बुलडोजर चला था।
इसके साथ ही पायलट ने पेपर लीक प्रकरण व वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई नहीं किए जाने का मुद्दा उठाया। पायलट ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई को लेकर 11 अप्रैल को यहां एक दिन का अनशन भी किया था।
राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। पायलट व मुख्यमंत्री गहलोत के बीच 2018 के आखिर में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के समय से ही 'नेतृत्व' को लेकर खींचतान चली आ रही है।
पायलट ने यह यात्रा ऐसे समय में शुरू की है जबकि मुख्यमंत्री गहलोत ने कुछ दिन पहले ही 2020 में बगावत करने वाले कांग्रेस विधायकों पर भाजपा से करोड़ों रुपए लेने का आरोप लगाया था। गहलोत ने कहा था कि उस वक्त जिन विधायकों ने भाजपा से पैसे लिए थे, उन्हें ये पैसे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लौटा देने चाहिए।
अपने संबोधन में आज पायलट ने इस ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘हेमाराम चौधरी और बृजेंद्र ओला जैसे वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आरोप लगाना निंदनीय हैं। ये दोनों इस समय गहलोत सरकार में मंत्री हैं।’’
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पेपर लीक के मुद्दे पर पायलट ने कहा कि जब कोई पेपर लीक हो जाता है और रद्द हो जाता है, तो यह लाखों छात्रों और उनके माता-पिता के मन में सिस्टम (तंत्र) के प्रति अविश्वास पैदा करता है और सिस्टम की विश्वसनीयता को बहाल करने की जरूरत है।
पायलट ने गहलोत के इस पुराने बयान को दोहराया कि पेपर लीक में कोई अधिकारी या राजनेता शामिल नहीं था। पायलट ने कहा, ‘‘जब जांच चल रही थी तो वह कैसे कह सकते हैं कि इसमें कोई अधिकारी या राजनेता शामिल नहीं था।’’
उल्लेखनीय है कि राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) का मुख्यालय अजमेर में है। पायलट ने अपनी यात्रा को युवाओं के मुद्दों से जोड़ने के लिए यह पदयात्रा अजमेर से निकालने का फैसला किया। पायलट 2009 से 2014 तक अजमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी थे।
ठीक एक महीने पहले 11 अप्रैल को पायलट ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई को लेकर 11 अप्रैल को यहां एक दिन का अनशन भी किया था। राजस्थान में दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर 'खींचतान' चल रही है। यह झगड़ा जुलाई 2020 में सार्वजनिक रूप से सामने आया जब (तत्कालीन उपमुख्यमंत्री) पायलट ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के लिए बगावती रुख अपना लिया। इस प्रकरण में गहलोत भारी पड़े और पायलट से मंत्री पद के साथ साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद ले लिया गया।
पायलट ट्रेन से अजमेर पहुंचे जहां बड़ी संख्या में समर्थकों ने उनका स्वागत किया। भीषण गर्मी में पदयात्रा शुरू करने से पहले उन्होंने जयपुर हाईवे पर एक जनसभा को संबोधित किया। बड़ी संख्या में उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने जयपुर की ओर पदयात्रा में पायलट का अनुसरण किया। इन लोगों ने हाथों में तिरंगा ले रखा था और पायलट के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे।
पायलट की इस 'जन संघर्ष यात्रा' के पोस्टर में पायलट की मुट्ठी बांधे संबोधित करने की तस्वीर है। पोस्टर के ऊपरी हिस्से में महात्मा गांधी, भीमराव आंबेडकर, भगत सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के चेहरे भी हैं। उनके साथ पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी और महेंद्र रालवता सहित स्थानीय नेता मौजूद रहे।