आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण को लेकर पढ़ें ये जरूरी अपडेट
पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों से आवारा कुत्तों के भोजन की व्यवस्था के लिए सामुदायिक रसोइयां स्थापित करने और उनकी संख्या को नियंत्रण में रखने के लिए उनकी नसबंदी और टीकाकरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: दिल्ली के वसंतकुंज में कुत्तों के हमले में दो बच्चों की मौत की घटना के मद्देनजर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों से आवारा कुत्तों के भोजन की व्यवस्था के लिए सामुदायिक रसोइयां स्थापित करने और उनकी संख्या को नियंत्रण में रखने के लिए उनकी नसबंदी और टीकाकरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार दिल्ली में दो दिन के अंतराल में दो सगे भाइयों की कुत्तों के हमलों के कारण मौत हो गई थी।
पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार के पक्षधर लोग (पेटा) ने कहा कि कुत्तों को लेकर कोई ‘पूर्वाग्रह’ नहीं रखना चाहिए, क्योंकि कुत्ते ‘‘आमतौर पर बिना किसी उकसावे के हमला नहीं करते। यह घटना बहुत ही दुखद और विचित्र है और अधिकारियों को इस मामले में गहन जांच करने की आवश्यकता है कि वास्तव में क्या हुआ था।’’
‘पेटा इंडिया’ ने कहा, ‘‘अगर पशु जन्म नियंत्रण नियमावली 2001 को लागू किया गया होता, तो कुत्ते झुंड नहीं बनाते।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘हम स्थानीय अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं कि क्षेत्र में कुत्तों की संख्या को नियंत्रित रखने के लिए नसबंदी की जाए और तुरंत टीके लगाए जाएं।’’
राष्ट्रीय राजधानी में कुत्तों के हमले में दो बच्चों की मौत के मद्देनजर दिल्ली की महापौर शैली ओबेरॉय ने मंगलवार को एक आपात बैठक की और अधिकारियों को आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए एक सप्ताह के भीतर कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया।
नोएडा स्थित गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल्स’ के संस्थापक संजय महापात्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि प्रशासन को पशु जन्म नियंत्रण नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए निगरानी समितियों के गठन पर विचार करना चाहिए और आवारा कुत्तों का पेट भरने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सामुदायिक रसोई भी स्थापित की जानी चाहिए।
उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं से बचने के लिए जानवरों के व्यवहार को समझने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जाने चाहिए।
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पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियमावली, 2001 में आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए उनकी नसबंदी और टीकाकरण का प्रावधान है।
‘पीपुल फॉर एनिमल्स’ (पीएफए) की न्यासी अंबिका शुक्ला ने कहा कि उनकी संस्था महापौर से मिलकर आवारा कुत्तों की समस्या को हल करने में मदद के लिए अपने सुझाव देना चाहती हैं।
वसंतकुंज की घटना के अलावा, पिछले दो महीनों में देश भर में आवारा कुत्तों के हमलों की ऐसी ही कई घटनाएं सामने आई हैं।