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महराजगंज: स्वतंत्रता संग्राम में सिसवा के रणबांकुरों ने भी निभायी थी अहम भूमिका

देश की स्वतंत्रता संग्राम में सिसवा के रणबांकुरों ने भी अपनी अहम भूमिका निभायी थी। जिसका जीता जागता उदाहरण है ग्रामसभा सिसवा बुजुर्ग में स्थित सेनानियों की याद में बना स्मारक स्तम्भ। जो सिसवा के वीर सेनानियों की गाथा का प्रतीक है। डाइनामाइट न्यूज़ विशेष:
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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महराजगंज: स्वतंत्रता संग्राम में सिसवा के रणबांकुरों ने भी निभायी थी अहम भूमिका

सिसवा बाजार (महराजगंज): देश की स्वतंत्रता संग्राम में सिसवा के रणबांकुरों ने भी अपनी अहम भूमिका निभायी थी। जिसका जीता जागता उदाहरण है ग्रामसभा सिसवा बुजुर्ग में स्थित सेनानियों की याद में बना स्मारक स्तम्भ। जो सिसवा के वीर सेनानियों की गाथा का प्रतीक है। 

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आजादी की लडाई में सिसवा क्षेत्र के खेसरारी गांव का गौरवशाली इतिहास रहा है। उस समय स्वतंत्रता संग्राम में अपना सबकुछ न्योछावर करने वाले प्रोफेसर शिब्बनलाल सक्सेना के नेतृत्व में सिसवा क्षेत्र के सुन्दर सिंह, विश्वनाथ सिंह, मदन पाण्डेय, दामोदर शर्मा , तिलक चौधरी, पारसनाथ पाण्डेय, रामप्रसाद भालोटिया, मातादीन मद्धेशिया, बृजभूण लोनिया, रामदयाल, रामबलि भगत, सुदामा प्रसाद, और कपिलदेव ने ब्रितानिया हुकूमत के विरूद्ध मोर्चा खोल रखा था।

जिस पर वर्ष 1930 में इन सेनानियों ने ब्रिटिश हुकूमत द्वारा वसूले जा रहे लगान का जमकर विरोध किया। इस पर इन सेनानियों से खार खाये अंग्रेजों ने सिसवा के सीमावर्ती गांव खेसरारी पर धावा बोल दिया। देखते ही देखते अंग्रेजों ने पूरे गांव को लूट लिया। इस दौरान सेनानियों ने जमकर संर्घा किया। लेकिन वे बुरी तरह घायल हो गये। घायलावस्था में भी इन सेनानियों ने हिम्मत नही हारी और प्रो0 शिब्बनलाल सक्सेना के नेतृत्व में सेनानियों ने इसकी खबर महात्मा गांधी तक पहुंचा दिया। 

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गांधी ने इस घटना को 1931 में इंग्लैण्ड में आयोजित गोलमेज कांन्फ्रेन्स में उठाया। परिणाम स्वरूप बाबा राघवदास के देखरेख में पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया। इस टीम ने लूटे गये सामानों को पुनः खेसरारी गांव में जाकर ग्रामीणों में वापस कराया। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में खेसरारी की घटना सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। 

महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल के प्रयासों और स्वतंत्रता के दीवानों को बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। सिसवा क्षेत्र के लोग आजादी के इन दीवानों से प्रेरणा पाकर स्वतंत्रता दिवस खास पर्व के रूप में मनाते हैं। इन सेनानियों की याद में सिसवा बुजुर्ग स्थित राजकीय महिला चिकित्सालय के समीप बनाया गया स्मारक स्तम्भ पहले तो उपेक्षित था। परन्तु जून 2017 में "पहल" नामक संस्था ने जीर्णोद्धार कराकर इस ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने का कार्य किया।

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