राहुल गांधी ने झूठ की दुनिया में सच्चे प्रकाशनों के महत्व पर जोर दिया
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि एक ऐसी दुनिया में जहां झूठ फैलाना बहुत आसान है, यह जरूरी है कि प्रकाशन सच्चाई के साथ खड़े रहें तथा झूठ और तोड़-मरोड़ कर पेश किये गए तथ्यों से प्रभावित नहीं हों। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
कोच्चि: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि एक ऐसी दुनिया में जहां झूठ फैलाना बहुत आसान है, यह जरूरी है कि प्रकाशन सच्चाई के साथ खड़े रहें तथा झूठ और तोड़-मरोड़ कर पेश किये गए तथ्यों से प्रभावित नहीं हों।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार यहां टाउन हॉल में, मलयालम दैनिक ‘सुप्रभातम’ के 10वें स्थापना वर्ष समारोह का उद्घाटन करते हुए राहुल ने कहा कि कॉरपोरेट मीडिया चाहे जो कुछ कहे, सच्चाई यह है कि भारतीय एक-दूसरे से प्रेम और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं तथा साथ में खुशीपूर्वक रह रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आज सेलफोन वाला कोई भी व्यक्ति हजारों लोगों को जो चाहे संदेश भेज सकता है। लेकिन साथ ही, हर कोई यह भी जानता है कि न्यायपूर्ण समाज की बुनियाद सच्चाई है। चाहे आप कुछ भी कर लें, आप झूठ के आधार पर एक सामंजस्यपूर्ण और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण नहीं कर सकते।’’
यह भी पढ़ें |
राहुल ने कांग्रेस में अधिक महिला नेताओं को आगे बढ़ाने पर जोर दिया
राहुल ने कहा कि आखिरकार, चाहे आप इसे छिपाने की कितनी भी कोशिश कर लें, सच कहीं न कहीं से सामने आ ही जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘और इसलिए यह जरूरी है कि इस तरह के दौर में ऐसे प्रकाशन हों जो सच का साथ दें, झूठ और तोड़-मरोड़ कर पेश किये गए तथ्यों से प्रभावित न हों।’’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि हमारे देश की बुनियाद परस्पर सम्मान, प्रेम और सहमति पर आधारित है।
यह भी पढ़ें |
Politics: ट्रक में सवार जवानों का वीडियो जारी कर राहुल गांधी ने पीएम मोदी को घेरा, दागे कड़वे सवाल
उन्होंने कहा, ‘‘भारत जोड़ो यात्रा से मुझे यह जानने को मिला कि राष्ट्रीय मीडिया चाहे कुछ भी कहे, कॉरपोरेट मीडिया चाहे कुछ भी कहे, सच्चाई यह है कि भारतीय एक-दूसरे से प्यार करते हैं, एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशीपूर्वक रह रहे हैं।’’
उन्होंने ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलेंगे’ का नारा दोहराया और कहा कि यह नारा यात्रा से स्वाभाविक रूप से निकला है।
राहुल ने कहा,‘‘इसने यात्रा की पूरी भावना को एक पंक्ति में समेट दिया। यदि सर्वश्रेष्ठ लेखक भी सैकड़ों घंटे बैठें, तो भी वे इतनी सटीक पंक्ति नहीं निकाल पाएंगे।’’