प्रयागराज: अनोखी रावण बारात पर दिखा कोरोना प्रभाव, सिर्फ उतारी गयी आरती, जानिये ये दिलचस्प मान्यता

डीएन ब्यूरो

प्रयागराज में इस बार दशहरे से पहले निकलने वाली अनोखी रावण बारात पर भी कोरोना का असर देखने को मिला है। इस बार कोरोना काल में रावण बारात नहीं निकाली गई। इस बार सिर्फ रावण की आरती ही उतारी गई। डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट..

रावण की आरती उतारते लोग
रावण की आरती उतारते लोग


प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस बार दशहरे से पहले निकलने वाली अनोखी रावण बारात पर भी कोरोना का बड़ा असर देखने को मिला है। इस बार कोरोना काल में रावण बारात नहीं निकाली गई। इस बार सिर्फ रावण की आरती ही उतारी गई। रावण पूजा और रावण बारात से जुड़ी यहां कई तरह की मान्यताएं हैं, जो सदियों से चली आ रही है लेकिन इस बार इन सभी पर कोरोना का खासा असर देखने को मिल रहा है। 

दरअसल, प्रयागराज में दशहरे की शुरुआत हर बार रावण पूजा और रावण बारात से होती थी। ऐसी मान्यता है कि मुनि भारद्वाज के आश्रम में लंकाधिपति रावण की पहले पूजा आरती की जाती थी, इसके बाद महाराजा रावण की हाथी-घोड़े और बैंडबाजों के साथ भव्य बारात निकाली जाती थी और लोग रावण बारात का दर्शन करते थे।

इसके पीछे भी पुरानी मान्यता है। कहते हैं कि भगवान राम जब रावण वध कर के अयोध्या लौट रहे थे तो उनका पुष्पक विमान प्रयागराज में भारद्वाज मुनि के आश्रम में रुका था। जब राम ने भारद्वाज मुनि से मिलने का प्रयास किया तो ऋषि ने उनसे मिलने से मना कर दिया था, क्योंकि राम से एक ब्राह्मण यानी रावण की हत्या हो गई थी। 

जब मुनि ने राम से मिलने से मना कर दिया था तो भगवान राम ने भारद्वाज ऋषि से क्षमा मांगी और प्रयाश्चित स्वरूप प्रयागराज के शिव कुटी घाट पर एक लाख बालू के शिवलिंगों की स्थापना की। साथ ही राम ने इसी जगह पर रावण से हत्या की क्षमा भी मांगी थी और रावण को यह वरदान दिया की प्रयागराज में रावण की पूजा होगी।

तभी से इस तरह धूमधाम से यह बारात निकाले जाने की परंपरा रही है। रावण बारात की इस परंपरा को पिछले 100 सालों से भी ज्यादा हो गया। दर्शक भी इस बारात को एक परंपरा के तौर पर ही मानते हैं और इसी परंपरा के साथ प्रयागराज में दशहरे के पर्व का आगाज होता है। लेकिन कोरोना के चलते भारद्वाज पार्क से रावण की बारात नहीं निकाली गई, सिर्फ रावण की पूजा आरती कर इस परंपरा को निभाया गया।

प्रयागराज की श्री कटरा रामलीला कमेटी उत्तर भारत की इकलौती ऐसी संस्था है जहां दशहरा उत्सव की शुरुआत भगवान राम के बजाय रावण की पूजा के साथ होती है।
 










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