कवि हरिशरण ओझा के काव्य संग्रह 'जस पाया तस गाया' का विमोचन
महराजगंज जनपद में गुरूवार को लेखक और कवि कवि हरिशरण ओझा द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया गया है। जानिए डाइनामाइट न्यूज पर पूरी खबर
महराजगंज: मनोवैज्ञानिक तथा कवि हरिशरण ओझा के पहले काव्य संग्रह "जस पाया तस गाया" का विमोचन जवाहर लाल नेहरू पीजी कॉलेज में आयोजित एक समारोह में किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोलकाता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से सेवानिवृत प्राचार्य प्रोफेसर अमरनाथ शर्मा ने कहा कि कवि भाव का विस्तार करता है, ज्ञान का नहीं।
इस मौके पर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ज्योत्सना ओझा, विजय पांडेय और डॉo एसएस मिश्रा ने विमोचन समारोह को संबोधित किया।
प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि आज की कविता की स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में रेखांकित किया जाए तो ठीक लगता है। परंतु अनेक प्रकार के कवि सम्मेलनों की गिरावटों और अनेक प्रकार के साहित्यिक कार्यक्रमों के गिरावटों को देखकर कवि मर्म को समझता है और उसे करने के आधार पर जो दोहा छंद या सोरठा की रचना करता है, वह कहीं ना कहीं से समाज को इंगित करता है।
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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि इस तरह के छंद पूर्ण ग्रन्थ समाज को सदैव प्रेरित करते है।
विमोचन समारोह के अतिविशिष्ट अतिथि सामाजिक संस्था सिटीजन फोरम के अध्यक्ष डॉक्टर आरके मिश्रा, कवि हरि शरण ओझा ने समाज के सभी क्षेत्र, चाहे वह युद्ध का हो, चाहे वह महिला सम्मान का हो, चाहे समाज में व्याप्त अनेक प्रकार की बुराइयों का हो, इन सभी बिंदुओं पर उन्होंने अपने छंद और सोरठा की रचना की है।
इसके माध्यम से सामाजिक समस्याओं को उजागर करना महत्वपूर्ण बात है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में सामाजिक संकल्पना के अनेक पक्षों को रेखांकित किया गया है।
विमोचन समारोह की अध्यक्षता करते हुए पीजी कॉलेज के अध्यक्ष/प्रबंधक डॉक्टर बलराम भट्ट ने कहा कि साहित्यकार मनुष्य बनता है। गांधी को गांधी बनने की प्रक्रिया में साहित्य का विशेष योगदान है। इसलिए साहित्यकार समाज के अनेक वातावरण को अपने साहित्य के माध्यम से प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक में ओझा ने ऐसा ही किया है।
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विशिष्ट अतिथि जवाहर लाल नेहरू पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम हमेशा होने चाहिए और इस प्रकार के पुस्तकों से समाज और साहित्य में गतिशीलता बनी रहती है उन्होंने हरि शरण ओझा की सराहना करते हुए कहा कि सेवानिवृत होने के बाद साहित्य में इस तरह की उपलब्धि प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण और बड़ी बात है।
विशिष्ट अतिथि लाल बहादुर शास्त्री पीजी कॉलेज आनंद नगर के प्राचार्य डॉo राम पांडे ने कहा कि इस पुस्तक के लेखक ने संक्षिप्त रूप में समाज के अनेक पक्षों को उद्घाटित किया है उसे पुस्तक में अनेक ऐसी रचनाएं वंदना के माध्यम से सामने आई है जिससे न सिर्फ समाज को बल्कि साहित्य जगत को भी लाभ मिलेगा। पुस्तक विमोचन समारोह को डॉ0 घनश्याम शर्मा और हिंदी विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉo राणा प्रताप तिवारी ने भी संबोधित किया।
पुस्तक के लेखक हरि शरण ओझा ने कहा कि सेवानिवृत होने के बाद साहित्य में गहरी अभिरुचि होने के कारण सोशल मीडिया और डायरी लिखने की आदत ने मुझे इस तरह की रचना करने के लिए प्रेरित किया और प्रयास करूंगा समाज को आगे की अच्छी पुस्तकें देने का प्रयास करेंगे।
विमोचन समारोह की आयोजिका डॉक्टर ज्योत्सना ओझा मिश्रा ने अपने पिता और कवि हरिशरण ओझा की पुस्तक के विमोचन समारोह में उपस्थित सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।