पितृपक्ष में तर्पण से पूर्वजों को मिलता है मोक्ष

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

Updated : 6 September 2017, 11:14 AM IST
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नई दिल्ली: पूर्वजों को मुक्ति देने वाले पितृ पक्ष शुरू हो गया है। इस बार 15 दिन तक चलने वाला पितृ पक्ष 6 सितंबर को श्राद्ध से शुरू होकर 20 सितंबर सर्वपितृ अमावस्या तक चलेंगे। पितृ पक्ष के दौरान हिन्दू अपने पितरों को श्रद्धाजंलि देते हैं। वे अपने पितरों को याद करते हुए खाना अर्पित करते हैं। जल अर्पण कर श्राद्ध और पिंडदान आदि करते हैं। पितृ भद्रापद महीने में अनंत चतुर्दशी के बाद आते हैं। 

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श्राद्ध में पितरों को मिलती है मुक्ति
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को 'पितृपक्ष' या 'महालय पक्ष' कहा जाता है, जिसमें लोग अपने पुरखों का पिंडदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। 

जन्म कुंडली में पितृ दोष का निवारण
कहा जाता है कि जिसकी जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है, उन मनुष्य को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है जैसे- शादी में विलंब, घर में शुभ कार्यो का न होना, संतान प्राप्ति में परेशानी, कर्ज होना और घर में आए दिन किसी न किसी का बीमार होना जैसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिनकी जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष पितृ दोष के निवारण के लिए बहुत ही अच्छा समय है। पितृदोष की शांति के लिए किसी भी तीर्थ स्थान पर जाकर पितृों के लिए तर्पण करने और दान करने से इस दोष का निवारण किया जा सकता है।

Published : 
  • 6 September 2017, 11:14 AM IST

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