UP Panchayat Election: यूपी पंचायत चुनाव में आरक्षण का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, लखनऊ बेंच के फैसले को चुनौती

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण का मामला लंबा खींचता दिखाई दे रहा है। पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। डाइनामाइट न्यूज में पढ़िये इस मामले से जुड़ा ताजा अपडेट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 20 March 2021, 5:53 PM IST
google-preferred

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण का मामला कानूनी आधार पर लंबा खिंचता दिखाई दे रहा है। यूपी में पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में पंचायत चुनाव को लेकर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा हाल ही में दिये गये फैसले को चुनौती दी गई है। मामले के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की फिर एक बार उलझन बढ़ गई है।

यह भी पढ़ें: UP Panchayat Election: यूपी पंचायत चुनाव की गाइडलाइन जारी, चार चरणों में होंगे जिलावार चुनाव, जानिये ये नये बदलाव

लखनऊ हाई कोर्ट के वकील अमित कुमार सिंह भदौरिया के मुवक्किल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस याचिका में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के 15 मार्च को दिये उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें पंचायत चुनाव में आरक्षण का आधार वर्ष 2015 करने का आदेश दिया गया था। इसके साथ ही पंचायत चुनाव में आरक्षण की रोटेशन पालिसी को लागू करने का निर्देश दिया गया था। 

यह भी पढ़ें: UP Panchayat Election: यूपी पंचायत चुनाव पर बड़ी खबर, आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट ने दिया ये बड़ा फैसला, बदल गया सीटों का समीकरण 

हाई कोर्ट के इस आदेश के साथ ही न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने राज्य में 25 मई तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न कराने के आदेश भी पारित किए। हाईकोर्ट ने अजय कुमार की तरफ से दाखिल याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि 2015 को आरक्षण का बेस वर्ष मानकर काम पूरा किया जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग को भी यह आदेश दिया है।

योगी सरकार ने पंचायतीराज अधिनियम में 11वां संशोधन करते हुए पंचायतों में आरक्षण के लिए 11 फरवरी 2021 को शासनादेश जारी किया था। इस प्रक्रिया में वर्ष 1995 को आधार माना गया था। सरकार के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक जनहित याचिका दायर की गई, जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आरक्षण का आधार वर्ष 2015 करने का आदेश दिया।  हाई कोर्ट के इस आदेश को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

No related posts found.