

यूपी के सरकारी अस्पतालों मे खोले गए जन औषधि केन्द्रों में लोगों के लिए दवायें उपलब्ध नही हैं। बाजार रेट से 70 प्रतिशत कम कीमत पर दवाएं उपलब्ध कराने के सरकारी दावें दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार आखें मूंदे हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर…
लखनऊः देश और प्रदेश में जब प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र खोले गए तो यह दावे किए गए की बाजार से 70 प्रतिशत तक कम कीमत में अच्छी क्वालिटी की जेनेरिक दवाएं इन स्टोर्स पर मिलेगी। पर शायद सरकार के दावें कहीं दम तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं।
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लखनऊ के सिविल, बलरामपुर जैसे बड़े सरकारी अस्पतालों में खुले जन औषधि केन्द्रों में शुगर, बीपी, बुखार इत्यादि की दवाईयां ही नहीं उपलब्ध हैं। अकेले राजधानी लखनऊ में लगभग 400 दवाओं की कमी लंबे समय से है। वहीं इन मेडिकल स्टोर्स संचालको द्वारा कई बार दवा सप्लाई करने के लिए भी कहा गया।मगर स्थिति जस की तस बनी है। ऐसे हालत मे मरीजों के परिजन प्राइवेट मेडिकल स्टोर्स से मंहगी दवा खरीदने को मजबूर हैं।
वहीं जन औषधि केन्द्र संचालकों का ये भी आरोप है की कुछ डॉक्टर दवाइयों का ब्रांड नाम पर्चे पर लिखते हैं। जिससे वे दवाईयां इन स्टोर्स पर नहीं मिल पाती और मरीज परेशान होते हैं। वहीं गंभीर रोगों के मरीज मंहगी दवा से बचने के लिए महीनों से जन औषधि केन्द्र पर दवाईयां आने का इंतजार करने को मजबूर हैं। मगर इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है।
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जन औषधि केन्द्रों पर दवाओं की किल्लत पर बोलते हुए सीएमओ डाक्टर नरेन्द्र अग्रवाल ने बताया की इसे लेकर दवा आपूर्ति करने वाली सांची एंजेसी के अफसरों से बात कर आपूर्ति सुनिश्चित कराई जायेगी।