पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाला: मप्र कांग्रेस ने सीबीआई या न्यायिक जांच की मांग की

डीएन ब्यूरो

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पटवारी (राजस्व विभाग कर्मचारी) भर्ती परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों की नियुक्तियों पर रोक लगाने के एक दिन बाद भी विपक्षी दल कांग्रेस शुक्रवार को इस परीक्षा में कथित अनियमितताओं की न्यायिक या सीबीआई जांच की मांग पर कायम हैं।

पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाला (फाइल)
पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाला (फाइल)


भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पटवारी (राजस्व विभाग कर्मचारी) भर्ती परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों की नियुक्तियों पर रोक लगाने के एक दिन बाद भी विपक्षी दल कांग्रेस शुक्रवार को इस परीक्षा में कथित अनियमितताओं की न्यायिक या सीबीआई जांच की मांग पर कायम हैं।

इंदौर में एक कांग्रेस नेता ने कथित अनियमितताओं की जांच की मांग करते हुए मप्र उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की।

प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा 26 अप्रैल को यह परीक्षा आयोजित की गई और इसके परिणाम मई और जून में घोषित किए गए।

हालांकि, हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से यह परीक्षा सवालों के घेरे में आ गई। चयनित10 उम्मीदवारों में से सात उसी परीक्षा केंद्र से हैं, जिसके बारे में दावा किया गया है कि वह भाजपा विधायक द्वारा संचालित कॉलेज में स्थित था।

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि 10 सफल उम्मीदवारों में से आठ राज्य के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से हैं।

शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस विधायक और पूर्व राज्य मंत्री जीतू पटवारी ने कहा, 'हम चाहते हैं कि सरकार 26 अप्रैल की परीक्षा रद्द कर दे। नए सिरे से परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए और उम्मीदवारों की फीस माफ की जानी चाहिए। हम ‘ केंद्रीय जांच ब्यूरो या उच्च न्यायालय द्वारा न्यायिक जांच’ चाहते हैं।'

पटवारी ने सवाल किया कि चौहान सरकार उन लोगों के आवासों को ध्वस्त करने में तत्पर है जिनके बारे में उनका दावा है कि वे गलत काम में शामिल हैं तो फिर उस विधायक का घर को क्यों नहीं तोड़ा गया, जिसके कॉलेज में कथित अनियमितताएं सामने आई हैं।

उन्होंने दावा किया कि 2007 से भर्ती परीक्षाएं अनियमितताओं से घिरी हुई हैं और सिर्फ व्यापमं का नाम बदलना पर्याप्त नहीं होगा। व्यापमं एक दशक पहले प्रवेश और भर्ती घोटाले के कारण राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम हुआ था।

पटवारी ने आरोप लगाया कि मप्र कर्मचारी चयन बोर्ड (एमपीईएसबी) के पास 775 करोड़ रुपये की धनराशि है और वह अनियमितताओं में भी शामिल है।

पटवारी ने जोर दिया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है (वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव में), तो वह एमपीईएसबी द्वारा आयोजित परीक्षाओं के लिए उम्मीदवारों से शुल्क नहीं लेगी क्योंकि उसके पास पहले से ही बहुत सारे फंड हैं।

इस बीच कांग्रेस नेता रघुनंदन सिंह परमार ने मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में जनहित याचिका दायर की है।

शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व महासचिव परमार ने 26 अप्रैल की पटवारी भर्ती परीक्षा 'घोटाले' की किसी सेवानिवृत्त या मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की है।

शर्मा ने कहा,‘‘पटवारी भर्ती परीक्षा एक बहुत बड़ा घोटाला है जिससे हजारों उम्मीदवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है। शीर्ष 10 चयनित उम्मीदवारों में से सात ने ग्वालियर के एक ही परीक्षा केंद्र में यह भर्ती परीक्षा दी थी। इस केंद्र से कुल 114 लोगों का भर्ती परीक्षा में चयन हुआ है।’

वकील ने कहा कि याचिका में जांच पूरी होने तक इस परीक्षा के माध्यम से चयन प्रक्रिया पर रोक लगाने की भी मांग की गई है। याचिका जल्द ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने की उम्मीद है।

दो दिन पहले दायर की गई जनहित याचिका में यह भी मांग की गई है कि जांच पूरी होने तक एमपीईएसबी को परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी नहीं करना चाहिए या परीक्षण आयोजित नहीं करना चाहिए।

बृहस्पतिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने कथित अनियमितताओं के बारे में ट्वीट किया और राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर युवाओं का भविष्य बर्बाद करने और जांच से भागने का आरोप लगाया।

परीक्षा को रद्द करने और कथित अनियमितताओं की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को एमपीईएसबी के भोपाल कार्यालय के सामने और इंदौर कलेक्टर कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया।

मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल को पहले व्यावसायिक परीक्षा मंडल या व्यापमं के नाम से जाना जाता था।

बाद में, बृहस्पतिवार शाम को एक ट्वीट में सीएम चौहान ने कहा, 'एक केंद्र पर पटवारी भर्ती परीक्षा पर संदेह जताया जा रहा है। मैं भर्ती परीक्षा परिणाम के आधार पर की जाने वाली नियुक्तियों पर रोक लगा रहा हूं। इस परीक्षा केंद्र के नतीजे की फिर से जांच की जाएगी।

जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव ने बुधवार को इसे एक और व्यापमं घोटाला बताया था और आरोप लगाया कि केवल भाजपा समर्थित उम्मीदवारों का चयन किया गया है। प्रदेश के गृह मंत्री एवं प्रदेश सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने आरोपों से इनकार किया।

यादव ने दावा किया कि चुने गए दस उम्मीदवारों में से आठ ग्वालियर-चंबल संभाग से हैं जिनमें सात उम्मीदवार भाजपा विधायक के स्वामित्व वाले कॉलेज के केंद्र से परीक्षा में शामिल हुए थे।

 










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