ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के भाषण पढ़ने का विरोध, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

ओडिशा विधानसभा में विपक्षी दलों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने बुधवार को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा गृह और सामान्य प्रशासन विभाग की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए लिखित भाषण पढ़ने पर आपत्ति जतायी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

ओडिशा विधानसभा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा लिखित भाषण पढ़ने पर आपत्ति जतायी।
ओडिशा विधानसभा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा लिखित भाषण पढ़ने पर आपत्ति जतायी।


भुवनेश्वर: ओडिशा विधानसभा में विपक्षी दलों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने बुधवार को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा गृह और सामान्य प्रशासन विभाग की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए लिखित भाषण पढ़ने पर आपत्ति जतायी।

यह मुद्दा शून्यकाल के दौरान विधानसभा में उठाया गया जब कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा उस विशेषाधिकार प्रस्ताव के नोटिस पर बोलने के लिए खड़े हुए, जो उन्होंने विचार के लिए पेश किया था। हालांकि, उन्हें विशेषाधिकार नोटिस पर बोलने की अनुमति नहीं दी गई क्योंकि मामला अध्यक्ष बी के अरुखा के विचाराधीन था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार जब मिश्रा ने मामले पर बोलने की अनुमति नहीं दिए जाने पर आपत्ति जतायी तो अध्यक्ष अरुखा ने कहा कि वह निश्चित रूप से उन्हें अनुमति देंगे, लेकिन गौर करने के बाद। भाजपा के नेता प्रतिपक्ष जयनारायण मिश्रा ने भी विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेस विधायक दल के नेता को विशेषाधिकार नोटिस पर बोलने की अनुमति देने का आग्रह किया।

 गृह और सामान्य प्रशासन विभाग की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए पटनायक ने सदन में सीधे बोलने के बजाय एक पृष्ठ से भाषण पढ़ा, इस पर कांग्रेस और बीजद सदस्यों के बीच कहासुनी हुई।

विपक्ष की आपत्ति का संसदीय कार्यमंत्री निरंजन पुजारी ने विरोध किया और कहा कि नियमों के तहत प्रावधान है कि कोई मंत्री सदन में भाषण पढ़ सकता है।

पुजारी ने तर्क दिया, ‘‘संसदीय मामलों के प्रभार के साथ-साथ, मैं वित्त मंत्री भी हूं। क्या मैं सदन में बजट भाषण नहीं पढ़ रहा हूं? इसलिए, किसी मंत्री द्वारा सदन में भाषण पढ़ने में कुछ भी गलत नहीं है।’’

कांग्रेस विधायक दल के नेता ने पुजारी के तर्क को खारिज कर दिया और दावा किया कि हालांकि वित्त मंत्री बजट भाषण पढ़ते हैं, लेकिन इसे सदन में पेश किया जाता है। उन्होंने कहा कि कोई सदस्य या मंत्री भाषण के दौरान पुस्तकों, समाचार पत्रों और अन्य लेखों का उल्लेख कर सकता है, लेकिन इसे जैसा है वैसा पढ़ नहीं सकता।

इस मुद्दे पर विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच हंगामा हुआ।

बीच में, विधानसभाध्यक्ष ने सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य देबिप्रसाद मिश्रा को महानदी जल संकट के मुद्दे पर बोलने की अनुमति दी। बीजद सदस्य ने कहा, ‘‘ओडिशा के 30 जिलों में से 15 से होकर गुजरने वाली महानदी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अंतरराज्यीय नदी के ऊपर बनाए गए चेक डैम के कारण सूख गई है। वे मानसून के दौरान ओडिशा में निचले जलग्रहण क्षेत्रों में बाढ़ से अतिरिक्त पानी छोड़ रहे हैं और बीजद सदस्य ने कहा कि गर्मियों के दौरान पानी का बहाव रोकना राज्य के लाखों लोगों के लिए परेशानी का कारण बनता है।’’

बीजद नेता ने कांग्रेस नीत संप्रग और भाजपा नीत राजग को एक ही सिक्के के दो पहलू बताया। उन्होंने महानदी जल संकट पर विशेष चर्चा के लिए अध्यक्ष के फैसले की मांग करते हुए आरोप लगाया, 'संप्रग और राजग सरकार दोनों ने ओडिशा के हितों के खिलाफ काम किया है, जिसके लिए छत्तीसगढ़ नीचे की ओर पानी के बहाव में बाधा डाल रहा है।’’

विधानसभा अध्यक्ष ने जल संसाधन मंत्री से महानदी नदी में जल संकट पर बयान देने को कहा।

विपक्ष के नेता ने कहा कि उनकी पार्टी महानदी जल संकट पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने महानदी के पानी का उपयोग नहीं करने के लिए बीजद सरकार की आलोचना की क्योंकि बड़ी मात्रा में पानी समुद्र में बह रहा है। भाजपा नेता ने कहा, 'ओडिशा सरकार नीचे की ओर पानी को नियंत्रित करने के लिए कोई चेक डैम नहीं बना पाई है।'

विपक्ष के खिलाफ पटनायक की मंगलवार की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कि वे राज्य में अराजकता का मुद्दा उठाकर ओडिशा के लोगों का अपमान कर रहे हैं, विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘हमने गृह विभाग द्वारा जारी श्वेतपत्र का हवाला देते हुए अभी कहा है कि ओडिशा में हत्या, बलात्कार, साइबर अपराध जैसे अपराधों और अन्य अपराधों में वृद्धि देखी जा रही है। श्वेत पत्र ही कहता है कि राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति कैसे बिगड़ गई है।’’










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