राज्यसभा में विपक्ष ने गरीबी, बेरोजगारी को लेकर सरकार को घेरा

डीएन ब्यूरो

राज्यसभा में बुधवार को विभिन्न विपक्षी दलों ने देश के आर्थिक विकास के सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि गरीबी और बेरोजगारी के आंकड़े चिंताजनक स्तर पर पहुंच गये हैं और सरकार को जमीनी वास्तविकताओं को समझकर उनका समाधान करना चाहिए। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

गरीबी, बेरोजगारी को लेकर सरकार को घेरा
गरीबी, बेरोजगारी को लेकर सरकार को घेरा


नयी दिल्ली: राज्यसभा में बुधवार को विभिन्न विपक्षी दलों ने देश के आर्थिक विकास के सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि गरीबी और बेरोजगारी के आंकड़े चिंताजनक स्तर पर पहुंच गये हैं और सरकार को जमीनी वास्तविकताओं को समझकर उनका समाधान करना चाहिए।

‘देश में आर्थिक स्थिति’ विषय पर उच्च सदन में हुई चर्चा में भाग लेते हुए समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि आम तौर पर आर्थिक आंकड़े भूलभुलैया होते हैं। उन्होंने सत्ता पक्ष के लोगों के दावों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्हें सुनकर लगता है कि वे पता नहीं कौन से ग्रह से आये हैं? उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर वास्तविकता कुछ और है?

उन्होंने कहा कि अधिकतर गांवों में पाइप लाइन लग गयी किंतु सभी घरों में पानी नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा कि अधिकतर ‘ठेकेदार गुजरात के थे और वे काम पूरा किए बिना धन लेकर वापस चले गये।’

यादव ने कहा कि एक तरफ भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी हैं वहीं देश विश्व भूख सूचकांक में अभी तक बहुत नीचे बना हुआ है। उन्होंने कहा कि उज्ज्वला योजना में लोगों को रसोई गैस सिलेंडर तो दे दिये गये किंतु उनके पास उसे भरवाने के लिए पैसे नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य बीमा योजना बनायी, जो बहुत अच्छी है किंतु कई डॉक्टर इसे मान ही नहीं रहे हैं। उन्होंने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के एक ऐसे ही मामले का उदाहरण दिया।

यादव ने सरकार एवं सत्ता पक्ष को सलाह दी कि वे केवल आंकड़ों पर न जाएं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों से बात करके वास्तविक स्थिति का पता लगायें और उनकी समस्याओं का समाधान करें।

तेलुगु देशम पार्टी के कनकमेदला रवीन्द्रकुमार ने चर्चा में भाग लेते कहा कि सरकार को रोजगार देने के अपने वादे को पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘सहयोगात्मक संघवाद’ के सिद्धांत में यह बात भी आती है कि केंद्र राज्यों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सहयोग करे।

उन्होंने आंध्र प्रदेश की आर्थिक स्थिति की स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है।

भाजपा के महेश जेठमलानी ने कहा कि भारत के विकास के बारे में विश्व बैंक के पूर्वानुमान बुरी तरह से विफल रहे हैं क्योंकि वर्तमान वित्त वर्ष की पिछली दो तिमाहियों में विकास दर काफी अच्छी रही है।

उन्होंने विपक्ष के सदस्यों द्वारा देश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर किए गए दावों को गलत बताते हुए कहा कि औपचारिक एवं अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के विनय विश्वम ने कहा कि आज देश की सच्चाई यह है कि लोग भूखे हैं और युवा रोजगार पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ सहित सरकार की विभिन्न योजनाओं के कोष का बहुत सारा धन प्रचार में खर्च किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि आजादी के 76 वर्ष बाद भी आज निरक्षर लोगों की संख्या विश्व में सबसे अधिक यहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार विश्व गुरु बनने का जो दावा करती है वह एक ‘भम्र और अर्द्धसत्य’ है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ मांझी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि देश में 80 करोड़ लोगों की आर्थिक स्थिति दयनीय है। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ तो आर्थिक विकास के दावे कर रही है वहीं वह करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज बांट रही है। उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति यदि इतनी अच्छी है तो लोगों को मुफ्त अनाज बांटने की नौबत क्यों आ गयी है, क्या वे दाल, चावल खरीद पाने की स्थिति नहीं है?

उन्होंने पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने की मांग भी की।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की फौजिया खान ने कहा कि देश में बेरोजगारी की स्थिति चिंताजनकर स्तर पर पहुंच गयी है। उन्होंने कहा कि देश में 42 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं तथा बेरोजगारी के कारण कुछ युवा आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आंकड़ों के मकड़जाल में समग्र विकास की अनदेखी कर रही है।

अन्नाद्रमुक सदस्य एम. थंबीदुरै ने तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा राज्य की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए उठाये गये कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने तमिलनाडु में हुई भारी वर्षा का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य की द्रमुक सरकार इससे निबटने में पूरी तरह से विफल रही है।

निर्दलीय अजीत कुमार भुइयां ने कहा कि कम आय दर एवं मुद्रास्फीति की ऊंची दर के कारण वस्तु एवं सेवा मांग घटती जा रही है। उन्होंने दावा किया कि सत्ता पक्ष के लोग आर्थिक विकास के बारे में जो बातें कर रहे हैं वह दुष्प्रचार एवं झूठ पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि देश में बढ़ती असमानता के कारण भारत की अर्थव्यवस्था चिंताजनक स्थिति में पहुंच गयी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार असम गण परिषद के वीरेन्द्र प्रसाद वैश्य ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि वर्तमान में ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड जैसे देशों की अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने कहा कि ऐसे नाजुक दौर में भारत की अर्थव्यवस्था प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तेजी से विकास कर रही है।

वैश्य ने केंद्र से कहा कि वह असम के उद्योगों को संरक्षण देने और प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए समुचित उपाय करे।










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