Maharajganj LIVE: न लिखित नोटिस.. न मुआवजा.. बस तोड़े जाओ.. जहां जैसे मर्जी.. तोड़े जाओ.. कोई बोले तो बुलडोजर के तले कुचल डालो

यूपी के महराजगंज में दो महीनों से हाईवे निर्माण के नाम पर वहां की जनता को परेशान किया जा रहा है। जिससे लोगों में जिम्मेदारों के खिलाफ सिर्फ गुस्सा है। यहां सड़क हाईवे के नाम पर सिर्फ गुंडागर्दी चल रही है। जहां लोगों से ये ठेकेदार और इंजीनियर अपनी मनमानी के अनुसार घर तुड़वा रहे हैं। महराजगंज की हालत इस समय पहचानने लायक तक नहीं रही है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ विशेष..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 9 September 2019, 1:11 PM IST
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महराजगंज: हाईवे निर्माण के नाम पर महराजगंज में प्राइवेट ठेकेदार की गुंडागर्दी से आतंक का माहौल बना हुआ है। श्मशान घाट में कस्बा बदलता हुआ नजर आ रहा है। कटर मशीन के बजाय पोकलैंड मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, या अपने हक की आवाज उठा रहे हैं, उन्हें बुल्डोजर से कुचलने की सीधी धमकी दी जा रही है। 

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ऐसे में आम जनता का गुस्सा जायज है। पहले तो उनके घर तोड़ जा रहा है। वो घर, जिसे लोगों ने सालों से संजो कर रखा हुआ था। जिसे बनाने के लिए लोगों ने अपनी जिंदगी की पूंजी लगा दी है। उसके बाद ठेकेदार के गुर्गे दे रहे हैं धमकी। कोतवाली में लोगों की तहरीर का तांता लगा हुआ है। सभी सही कार्यवाही का इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि मौके से ठेकेदार और इंजीनियर गायब हैं। निर्माण का कॉन्ट्रेक्ट लखनऊ के प्राइवेट ठेकेदार कंपनी महाकालेश्वर इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (Mahakaleshwar Infratect Private Limited) को मिला है। पर इसके डायरेक्टर अनुज सिंह से लेकर सुनील दिवेदी तक मौके से फरार हैं। इनकी प्राइवेट लिमिटेड ठेकेदार कंपनी के कथित प्रोजेक्ट मैनेजर एनएच पाल व इनके मेठ-मुंशी संतोष ने ड्राइवर व खलासी को लेकर गजब का गदर जिले भर में काट रखा हैं। 

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ऐसे में वहां के निवासियों का कहना है कि 27-28 का दायरा बताने के बाद भी घरों को 53 फुट तोड़ा गया है। कोई था नहीं तो अपनी मनमानी के हिसाब से घर तोड़ दिया। बिना किसी नोटिस के गुंडागर्दी दिखाते हुए जितनी मर्जी हो रही है उतना घर तोड़ा जा रहा है। कुछ दिन पहले लाउडस्पीकर से अनाउंस कर दिया की 53 फीट तोड़ा जाएगा। बिना किसी नोटिस के, बिना किसी कानूनी कार्यवाई के 1 दिन पहले घोषणा करके जबरदस्ती लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं। 

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लोगों को सिर छिपाने के लिए छत नहीं है, दुकानों से लेकर मुख्यालय तक उजड़ रहे हैं। महारजगंज की हालत इस समय ऐसी हो गई है कि कोई यहां आएगा तो वो इसे पहचान नहीं पाएगा। इसके बाद भी ठेकेदारों और इंजीनियरों की मनमानी चरम पर है।