महाराष्ट्र पुरस्कार समारोह में लू लगने से बीमार पड़े नौ अब भी अस्पताल में, 13 की हो चुकी मौत
‘महाराष्ट्र भूषण’ पुरस्कार समारोह के दौरान लू लगने से बीमार पड़े लोगों में से नौ का अब भी इलाज चल रहा है। लू लगने से 13 लोगों की मौत हो चुकी है। पढ़िये डाइनामइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
मुंबई: नवी मुंबई में आयोजित ‘महाराष्ट्र भूषण’ पुरस्कार समारोह के दौरान लू लगने से बीमार पड़े लोगों में से नौ का अब भी इलाज चल रहा है। एक नगर निकाय अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
कार्यक्रम में भीषण गर्मी की चपेट में आने के बाद 13 लोगों की मौत हो गई थी। करीबी मौसम केंद्र में घटना वाले दिन का अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के खारघर क्षेत्र में रविवार को खुले मैदान में आयोजित कार्यक्रम में करीब सात लाख लोग पहुंचे थे। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कार्यक्रम में आध्यात्मिक नेता एवं समाज सुधारक अप्पासाहेब धर्माधिकारी को महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार दिया था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक पनवेल नगर निगम के उपायुक्त विठ्ठल डाके ने कहा, ‘‘ मृतक संख्या 13 है और किसी अन्य के जान गंवाने की सूचना नहीं है। इलाज के बाद कल आठ लोगों को छुट्टी दे दी गई थी। (कामोठे स्थित) एमजीएम अस्पताल में पांच, वाशी सरकारी अस्पताल में तीन और खारघर के मेडीकवर अस्पताल में एक अन्य मरीज का इलाज चल रहा है।’’
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मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस घटना को ‘‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताते हुए, जान गंवाने वाले लोगों के परिवार वालों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी।
महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने भीषण गर्मी में समारोह दोपहर के समय आयोजित कराए जाने की जांच की मांग की है।
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि लू से हुई मौतों के लिए शिंदे सरकार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने घटना की जांच के लिए एक समिति का गठन किए जाने की मांग की है।
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‘श्री परिवार’ (धर्माधिकारी के संगठन) के कई अनुयायी शुक्रवार को कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए थे और रविवार को दोपहर करीब डेढ़ बजे समारोह समाप्त होने तक वहीं रुके रहे।
कार्यक्रम स्थल पर कुछ लोगों ने चक्कर आने और स्वास्थ्य संबंधी अन्य जटिलताओं की शिकायत की। कुछ लोग बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े। शुरू में उनका इलाज अस्थायी चिकित्सकीय सुविधाओं में किया गया और बाद में उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
अप्पासाहेब धर्माधिकारी के वृक्षारोपण, रक्तदान अभियान और चिकित्सा शिविर स्थापित करने के साथ-साथ आदिवासी क्षेत्रों में नशामुक्ति के लिए की गई पहल के कारण राज्य में बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक और समर्थक हैं।