Jharkhand: एनजीटी ने झारखंड सरकार पर 750 करोड़ रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाने से इनकार किया

डीएन ब्यूरो

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ठोस और तरल कचरे के अनुचित प्रबंधन के लिए झारखंड सरकार पर 750 करोड़ रुपये के पर्यावरणीय हर्जाना का आदेश देने से इनकार किया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

राष्ट्रीय हरित अधिकरण
राष्ट्रीय हरित अधिकरण


नयी दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ठोस और तरल कचरे के अनुचित प्रबंधन के लिए झारखंड सरकार पर 750 करोड़ रुपये के पर्यावरणीय हर्जाना का आदेश देने से इनकार किया है।

एनजीटी ने राज्य सरकार के इस वचन का भी संज्ञान लिया कि ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 1,114 करोड़ रुपये पहले ही आवंटित किए जा चुके हैं।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक, ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन में अब भी भारी अंतर मौजूद है।

पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल भी शामिल थे।

अधिकरण ने कहा, ‘‘पर्यावरणीय मुआवजे के तौर पर 750 करोड़ रुपये का हर्जाना राज्य सरकार पर लगाया जा सकता है, लेकिन मुख्य सचिव के इस बयान के मद्देनजर ऐसा करना आवश्यक नहीं लगता है कि 1,114 करोड़ रुपये की राशि संबंधित खाते में जमा की जाएगी, जिसका इस्तेमाल अपशिष्ट प्रबंधन के अंतराल को एक वर्ष के भीतर कम करने के लिए किया जाएगा।’’

पीठ ने कहा कि स्थिति से निपटने में आमूल-चूल बदलाव की आवश्यकता है, क्योंकि कचरा प्रबंधन की समस्या प्रशासन के सामने खड़ी है और पर्यावरण तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य की समस्या अब भी अनसुलझी है।

अधिकरण ने कहा, ‘‘दिए गए वचन के मद्देनजर, हम फिलहाल झारखंड सरकार पर पर्यावरण मुआवजा (ईसी) लगाने से इनकार करते हैं।’’

इसने मुख्य सचिव को सत्यापन योग्य प्रगति के साथ छह-मासिक प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।










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