विमानन नियामक डीजीसीए की चिंताओं को लेकर जानिये क्या बोला स्पाइसजेट

डीएन ब्यूरो

विमानन कंपनी स्पाइसजेट ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा व्यक्त चिंताओं का समाधान करेगी। कंपनी ने परिचालन बढ़ने का भी भरोसा जताया। पढ़िए पूरी खबर डाइनमाइट न्यूज़ पर

विमानन कंपनी स्पाइसजेट
विमानन कंपनी स्पाइसजेट


नयी दिल्ली: विमानन कंपनी स्पाइसजेट ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा व्यक्त चिंताओं का समाधान करेगी। कंपनी ने परिचालन बढ़ने का भी भरोसा जताया।

स्पाइसजेट के विमानों में तकनीकी खामी की कई घटनाओं के मद्देनजर विमानन नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने बुधवार को एयरलाइन को आठ हफ्तों तक गर्मियों के लिए स्वीकृत उड़ानों में से अधिकतम 50 फीसदी के संचालन का आदेश दिया था।

कंपनी ने कहा कि बृहस्पतिवार को उसके सभी विमानों ने समय पर उड़ान भरीं।

स्पाइसजेट ने कहा कि डीजीसीए के आदेश की वजह से कोई उड़ान रद्द नहीं की गई है। उसने कहा कि नियामक के बुधवार के आदेश का एयरलाइन के निर्धारित कार्यक्रम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।

कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘‘हम अपने यात्रियों और यात्रा साझेदारों को फिर से भरोसा दिलाना चाहते हैं कि आगामी दिनों और हफ्तों में हमारे विमान निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उड़ान भरेंगे।’’

इसमें कहा गया, ‘‘स्पाइसजेट को अपना परिचालन बढ़ने का भरोसा है और नियामक की किसी भी चिंता का समाधान करना हमारी प्राथमिकता है।’’

डीजीसीए ने कहा था कि इन आठ हफ्तों के दौरान बजट एयरलाइन पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी

डीजीसीए ने इस साल गर्मियों के लिए (11 मार्च से 29 अक्टूबर के बीच) स्पाइसजेट की 4,192 साप्ताहिक घरेलू उड़ानों को मंजूरी दी थी।

नियामक के बुधवार के आदेश के तहत एयरलाइन अगले आठ हफ्तों के लिए 2096 उड़ानों से ज्यादा का संचालन नहीं कर सकती है।

उन्नीस जून से लेकर पांच जुलाई के बीच स्पाइसजेट के विमानों में तकनीकी खराबी आने की कम से कम आठ घटनाएं हुईं। इसके बाद छह जुलाई को डीजीसीए ने एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

विमानन नियामक ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि विभिन्न स्थलों की जांच, निरीक्षण और स्पाइसजेट की ओर से जमा कराए गए कारण बताओ नोटिस के जवाब के मद्देनजर, सुरक्षित और विश्वसनीय परिवहन सेवा के निरंतर निर्वाह के लिए, स्पाइसजेट की गर्मियों के लिए स्वीकृत उड़ानों की संख्या आठ हफ्तों तक 50 फीसदी पर सीमित की जाती है।  (भाषा)










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