राहुल गांधी के पोस्टरों से जुड़ा नया विवाद आया सामने, जांच के आदेश, जानिये पूरा मामला
महाराष्ट्र विधानसभा में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के विधायकों ने महाराष्ट्र विधानमंडल परिसर की सीढ़ियों पर राहुल गांधी के पोस्टर को कथित तौर पर चप्पलों से मारने के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना के सदस्यों की बृहस्पतिवार को आलोचना की। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के विधायकों ने महाराष्ट्र विधानमंडल परिसर की सीढ़ियों पर राहुल गांधी के पोस्टर को कथित तौर पर चप्पलों से मारने के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना के सदस्यों की बृहस्पतिवार को आलोचना की।
सत्तारूढ़ दलों के विधायकों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हिंदुत्व विचारक वी. डी. सावरकर को लेकर की गई कथित टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए गांधी के पोस्टर पर कथित तौर पर चप्पलें मारी थीं।
महा विकास आघाड़ी (एमवीए) में शिवसेना (उद्धव ठाकरे नीत गुट), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस शामिल है।
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने भी सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की इस हरकत पर नाराजगी जताई और जांच का वादा किया।
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कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने सदन में यह मुद्दा उठाया, जिसका नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने स्वागत किया। दोनों ने सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों के व्यवहार को असंसदीय करार देते हुए इसकी आलोचना की। थोराट ने इस कृत्य में शामिल विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी स्वीकार किया कि विधान भवन परिसर में इस तरह के कृत्य करना गलत है, लेकिन साथ ही गांधी की आलोचना की।
फडणवीस ने कहा कि सावरकर ने अंडमान में 11 साल जेल में बिताए थे और उन पर गांधी की टिप्पणी की निंदा की जानी चाहिए।
भाजपा के विधायक अतुल भटखल्कर ने सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद दोबारा शुरू होने पर कहा, ‘‘ आपराधिक मामले में जमानत पर रिहा व्यक्ति स्वतंत्रता सेनानी का अपमान कर रहा है।’’
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इस बीच अध्यक्ष नार्वेकर ने कहा, ‘‘ मैं मामले की जांच करूंगा और रिकॉर्डिंग भी देखूंगा। यह दोबारा नहीं होना चाहिए अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’’
सत्तारूढ़ विधायकों की खिंचाई करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ अगर आप निंदा करना चाहते हैं तो उचित मंच पर करें। अभी तक (मामले पर कार्रवाई के लिए) मुझे कोई नोटिस नहीं मिला है।’’
इससे पहले, सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों द्वारा सावरकर पर गांधी की टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ नारेबाजी के कारण दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित हुई।