मणिपुर वीडियो: प्रधानमंत्री मोदी, प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने घटना की निंदा की; चार लोग गिरफ्तार
मणिपुर में दो जनजातीय महिलाओं को निर्वस्त्र कर भीड़ द्वारा घुमाने का एक वीडियो सामने आने पर बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रधान न्यायाधीश धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने गहरा दुख जताते हुए इस घटना को ‘‘शर्मनाक’’ और ‘‘अस्वीकार्य’’ करार दिया।
नई दिल्ली: मणिपुर में दो जनजातीय महिलाओं को निर्वस्त्र कर भीड़ द्वारा घुमाने का एक वीडियो सामने आने पर बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रधान न्यायाधीश धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने गहरा दुख जताते हुए इस घटना को ‘‘शर्मनाक’’ और ‘‘अस्वीकार्य’’ करार दिया।
पूर्वोत्तर के इस राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के एक दिन बाद चार मई को यह घटना कांगपोकपी जिले के एक गांव में हुई थी, जिसका 26 सेकंड का एक वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राष्ट्रव्यापी रोष पैदा हो गया है। यह वीडियो कल सामने आया और इंटरनेट पर पाबंदी हटने के बाद वायरल हुआ है।
मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पहली सार्वजनिक टिप्पणी में किसी भी दोषी को बख्शे नहीं जाने और कानून के पूरी सख्ती से कदम उठाने की बात कहे जाने के कुछ ही घंटे बाद राज्य के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने कहा कि पुलिस ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। वहीं, प्रधान न्यायाधीश ने भी चेतावनी दी कि यदि जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ तो उच्चतम न्यायालय कार्रवाई करेगा।
घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किये गये चार लोगों में से एक के बारे में पुलिस ने कहा कि वह बी. फाइनोम गांव में हुई घटना में शामिल भीड़ का हिस्सा था और उसे वीडियो में पीड़ित महिलाओं में से एक को घसीटते हुए देखा जा सकता है।
पुलिस ने बताया कि इस व्यक्ति को थाउबल जिले से गिरफ्तार किया गया है और उसकी पहचान 32 वर्षीय हुईरेम हेरादास सिंह के रूप में हुई है। अन्य तीन गिरफ्तार लेागों का विवरण अभी उपलब्ध नहीं है।
वीडियो पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पुलिस ने कल रात कहा था कि अज्ञात हथियारबंद बदमाशों के खिलाफ थाउबल जिले के नोंगपोक सेकमाई थाने में अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया गया है तथा दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए हरसंभव प्रयास जारी हैं।
यह वीडियो बहुसंख्यक मेइती समुदाय और कुकी आदिवासी समूह के बीच बढ़ती खाई को प्रदर्शित करता है।
राजनीतिक दलों के नेताओं ने दलगत भावनाओं से ऊपर उठते हुए घटना की निंदा की, जिसकी गूंज मानसून सत्र के पहले दिन संसद में भी सुनी गई।
भाजपा शासित राज्य में जातीय हिंसा पर नहीं बोलने के लिए विपक्षी दलों द्वारा आलोचना किये जाने के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने संसद परिसर में कहा, ‘‘मैं इस लोकतंत्र के मंदिर के पास खड़ा हूं तब मेरा ह्रदय पीड़ा से भरा हुआ है, क्रोध से भरा हुआ है। मणिपुर की जो घटना सामने आई है वह किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है। पाप करने वाले, गुनाह करने वाले कितने हैं, और कौन-कौन हैं, वह अपनी जगह पर है... लेकिन बेइज्जती पूरे देश की हो रही है। 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ है... इसके दोषियों को कभी माफ नहीं किया जा सकता है।’’ प्रधानमंत्री ने देशवासियों को भरोसा दिलाया कि इस मामले में कानून सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा।
मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने कहा कि गहन जांच जारी है और दोषियों को मृत्युदंड दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने इंफाल में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह मानवता के खिलाफ अपराध है। हम किसी को भी नहीं बख्शेंगे।’’
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एक समुदाय के लोगों की भीड़ द्वारा दूसरे समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की इस चार मई की घटना का वीडियो सामने आने के बाद मणिपुर के पर्वतीय हिस्से में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है।
इस घटना को लेकर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इससे वह ‘‘बहुत व्यथित’’ है और उसने इसे ‘‘किसी भी संवैधानिक लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य’’ बताया।
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस वीडियो पर संज्ञान लिया और केंद्र तथा मणिपुर सरकार से फौरन कार्रवाई करने को कहा।
न्यायालय ने कहा कि तनावपूर्ण माहौल में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल करना पूरी तरह अस्वीकार्य है और ये दृश्य संविधान और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन दर्शाते हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार आगे आए और कार्रवाई करे क्योंकि यह (घटना) पूरी तरह अस्वीकार्य है। हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह संवैधानिक और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।’’ उन्होंने कहा कि अदालत इस तथ्य से अवगत है कि बुधवार को सामने आया यह वीडियो चार मई का है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’’
केंद्र सरकार ने ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया मंचों से मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाये जाने का वीडियो हटाने के लिए कहा है।
सूत्रों ने बताया कि वीडियो आपत्तिजनक है और चूंकि मामले की जांच की जा रही है इसलिए ट्विटर तथा अन्य सोशल मीडिया कंपनियों से वीडियो को हटाने के लिए कहा गया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पार्टी घटना की निंदा करती है, लेकिन यह भी कहा कि संसद के मानसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले सोशल मीडिया पर इस वीडियो का सामने आना काफी रहस्य से भरा हुआ है।
मणिपुर में करीब दो महीने से जारी हिंसा का असर मानसून सत्र के पहले दिन संसद की कार्यवाही पर भी देखने को मिला। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही एक बार और राज्यसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।
संसद के बाहर कांग्रेस, शिवसेना और द्रमुक सहित अन्य विपक्षी दलों ने यह मुद्दा जोरशोर से उठाया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, 'प्रधानमंत्री जी, मुद्दा यह नहीं है कि यह देश के लिए शर्म की बात है। मुद्दा मणिपुर की महिलाओं को हुए अपार दर्द और आघात का है। हिंसा तुरंत रोकें।'
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सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर पर अपनी चुप्पी तोड़ दी है लेकिन यह बहुत कम और काफी देर से किया गया।
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया, 'मणिपुर में मानवता खत्म हो गई। मोदी सरकार और भाजपा ने राज्य के नाजुक सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करके लोकतंत्र और कानून के शासन को भीड़तंत्र में बदल दिया है।'
खरगे ने मोदी से इस जातीय हिंसा के बारे में संसद में बोलने और राष्ट्र को यह बताने की मांग की कि क्या कुछ हुआ है।
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘यह घटना पूरे देश के लिए शर्मनाक है। यह बहुत परेशान करने वाला है।’’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘मणिपुर में चार मई को हुई घटना का वीडियो देखने के बाद देश की माताएं और बहनें विलाप कर रही हैं। वीडियो में भीड़ दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाती दिखती है। यह अराजकता बंद होनी चाहिए....केन्द्र की नीतियों के कारण देश जल रहा है।’’
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने घटना का स्वत: संज्ञान लिया है और राज्य पुलिस प्रमुख को मामले में त्वरित कार्रवाई करने को कहा है।
इंडीजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के सदस्यों ने राज्य में विरोध प्रदर्शन किया।
मणिपुर में चार मई को हुई इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों में शामिल महिला हाहत वाइफेई ने दावा किया कि बी. फाइनोम गांव के लोगों ने एक दिन पहले भी ऐसी ही घटना को अंजाम देने के प्रयास को विफल किया था।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर मेइती समुदाय द्वारा पहाड़ी जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) वाले दिन राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई और अभी तक इसमें 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है जबकि तमाम लोग घायल हुए हैं।
राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी समुदाय के आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।