महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव भाजपा और एमवीए के लिए सबक

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि महाराष्ट्र के पुणे जिले में दो विधानसभा सीट के उपचुनावों के नतीजे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आत्मावलोकन करने और महाविकास आघाडी (एमवीए) को बेहतर चुनाव परिणामों के लिए एकजुट होने के सबक देते हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 3 March 2023, 6:48 PM IST
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मुंबई: राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि महाराष्ट्र के पुणे जिले में दो विधानसभा सीट के उपचुनावों के नतीजे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आत्मावलोकन करने और महाविकास आघाडी (एमवीए) को बेहतर चुनाव परिणामों के लिए एकजुट होने के सबक देते हैं।

भाजपा विधायक मुक्ता तिलक और लक्ष्मण जगताप की मृत्यु हो जाने के कारण

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, पुणे जिले के कस्बा पेठ और चिंचवड सीट पर 26 फरवरी को उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी थी।

बृहस्पतिवार को घोषित उपचुनाव परिणामों में कस्बा सीट पर एमवीए के घटक दल कांग्रेस ने जीत दर्ज की। कांग्रेस के उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर ने भाजपा के हेमंत रासने को इस सीट पर हराया। इस सीट पर 1995 से भाजपा का कब्जा था।

वहीं, दिवंगत विधायक लक्ष्मण जगताप की पत्नी एवं भाजपा उम्मीदवार अश्विनी जगताप ने चिंचवड सीट पर जीत दर्ज की। उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के विठ्ठल उर्फ नाना काटे को हराया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रत्नाकर महाजन ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि कस्बा पेठ उपचुनाव के नतीजे ने एमवीए को एकजुट रहने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजे स्थानीय और राज्य के मुद्दों पर जनता का फैसला है। इसके अधिक अर्थ निकालने की आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे यह भी प्रदर्शित हुआ है कि आम मतदाता महंगाई और बेरोजगारी जैसे समकालिक मुद्दों को लेकर चिंतित हैं, जिसका उन्हें अपने दैनिक जीवन में सामना करना पड़ता है।’’

महाजन ने कहा कि यह एक गलत धारणा है कि कस्बा ब्राह्मण बहुल विधानसभा सीट है। उन्होंने कहा कि 13 प्रतिशत मतदाता इस समुदाय के हैं, जबकि 60 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा नेता गिरिश बापट लोगों से जुड़ाव रखने के कारण कस्बा सीट से पांच बार विजयी रहे थे, ना कि अपनी जाति के कारण। साथ ही, कांग्रेस के पास उनका मुकाबला करने के लिए कोई नेता नहीं था।’’

उन्होंने कहा कि यह सोचने के पीछे कोई तर्क नहीं है कि भाजपा इसलिए हारी कि लोकमान्य तिलक के परिवार की अनदेखी की गई। दिवंगत मुक्ता तिलक, इस परिवार से नाता रखती थीं। उन्होंने कहा कि इस परिवार से नाता रखने वाले कांग्रेस उम्मीदवार रोहित तिलक (कस्बा) विधानसभा सीट पर दो बार पराजित हुए थे।

महाजन ने चिंचवड सीट के बारे में कहा कि इस विधानसभा क्षेत्र में बाहरी और स्थानीय लोगों की मिलीजुली आबादी है क्योंकि यह एक औद्योगिक इलाका है।

उन्होंने कहा कि भाजपा के दिवंगत विधायक लक्ष्मण जगताप एक स्थानीय नेता थे और उनका लोगों से मजबूत जुड़ाव था। उन्होंने कहा कि चिंचवड में अश्विनी जगताप के लिए सहानुभूति की लहर ने काम किया, लेकिन कस्बा में ऐसा नहीं हुआ। वहां पुणे के मौजूदा सांसद गिरिश बापट ने गंभीर रूप से बीमार रहने के बावजूद अपनी पार्टी के लिए प्रचार किया और मतदान किया।

भाजपा के वरिष्ठ नेता माधव भंडारी ने कस्बा पेठ सीट पर अपनी पार्टी की हार को एक ‘हादसा’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम इस बारे में आत्मावलोकन करेंगे कि हमने कहां गलती की।’’

राकांपा नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि कस्बा सीट पर लोगों ने अपने मतों की खरीद-फरोख्त को लेकर अपना गुस्सा प्रकट किया।

उन्होंने कहा कि कस्बा उपचुनाव के नतीजे उन पार्षदों को चेतावनी है जो इस वर्ष के अंत में होने वाले नगर निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ दल में शामिल होने की योजना बना रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक प्रकाश अकोलकर ने कहा कि उपचुनाव के नतीजे विपक्षी दलों के लिए एक सबक है। उन्होंने कहा, ‘‘इसने यह संदेश दिया कि एकजुट रहने से जीत मिलेगी और बंटे रहने पर हार मिलेगी।’’

एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, ‘‘उपचुनाव के नतीजे सत्तारूढ़ भाजपा को यह संदेश देते हैं वह आत्मावलोकन करे।’’

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