महराजगंजः बर्खास्त अफसर के अजीबोगरीब किस्से, कभी मसीहा बनकर पाया सम्मान तो कभी...

डीएन संवाददाता

महराजगंज जनपद के एक अधिकारी को डीएम ने बर्खास्त किया है। बर्खास्त अधिकारी विवाद से लेकर सम्मान तक के कारण जिले में चर्चा में बने रहे। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

बर्खास्त बाल संरक्षण अधिकारी
बर्खास्त बाल संरक्षण अधिकारी


महराजगंजः नौतनवा के बगहा में हुई एक बच्ची की मौत के मामले में विवादों के भंवर में आखिरकार एक बार फिर बाल संरक्षण अधिकारी जकी अहमद बुरी तरह फंस गए हैं। इसका खामियाजा इन्हें बर्खास्तगी से चुकाना पड़ा।

बाल संरक्षण अधिकारी अक्सर अपने अनोखे कार्यों से हमेशा मीडिया की सुर्खियों में बने रहते हैं। कभी इनके कार्य गंभीर आरोपों के घेरे में आ जाते हैं तो कभी यह बेहतरीन कार्यों पर सम्मानित होकर खूब सुर्खियां बटोरते नजर आते हैं।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता ने इनके कार्यकाल के बारे में पड़ताल की तो तमाम चौंकाने वाले तथ्य उभरकर सामने आए। 

अनोखे कारनामे
वर्ष 09-10 में घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के केस से संबंधित कार्य के देखने के दौरान जकी अहमद ने मात्र तीन माह में 400 से अधिक दांपत्य जोडे को साथ रहने को राजी करने का भी कीर्तिमान स्थापित किया था।

तत्कालीन डिस्टिक जज सुरेन्द्र लाल श्रीवास्तव ने इन्हें इस कार्य के लिए सम्मानित किया था। बस फिर क्या था इनके हौसले लगातार बढ़ते गए। वर्ष 2010-11 में जकी अहमद महिला कल्याण विभाग प्रोबेशन कार्यालय में बतौर काउंसलर कार्यभार देख रहे थे।

तीन बच्चियों का बचाया जीवन

इनके कार्यकाल के दौरान डीएम आवास के बगल स्थित सरोवर के पास कांशीराम की निवासी पांच मासूम बच्चियां बकरी चराने गयी थी। अचानक वह सरोवर में डूबने लगी। सौभाग्यवश वहां से जकी अहमद गुजर रहे थे। बच्चियों को डूबते देख तैरना न आने के बावजूद इन्होंने सरोवर में छलांग लगा दी। तीन बच्चियों का जीवन तो बचा लिया गया किंतु दो बच्चियां इस हादसे में काल के गाल में समा गईं थी।

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जीवन रक्षक की उपाधि

तत्कालीन डीएम ने इस करिश्माई कारनामे पर जकी को महराजगंज महोत्सव में इन्हें जीवन रक्षक की उपाधि से सम्मानित किया था।

बाल विवाहों को भी रुकवाया

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जकी अहमद ने 3 दर्जन से अधिक बाल विवाहों को भी रुकवाया था। इनके कार्यकाल में 300 से अधिक बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया जिसका परिणाम रहा कि आज जिले में बाल श्रमिकों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है।

इनके सराहनीय कार्यों की बदौलत ही इन्हें काउंसर से वर्ष 2013 में तत्कालीन डीएम सौम्या अग्रवाल ने इन्हें बाल संरक्षण अधिकारी जैसा महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया। उस समय तत्कालीन प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार रहे। जेल में जकी ने डीएम के आदेश पर जेब बंदी महिलाओं के 3 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों के लिए नर्सरी क्लासेज प्रारंभ कराईं। जिस कारण महराजगंज जिला प्रदेश का पहला ऐसा जनपद बना जहां जेल में पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित हुई।  

कई लोगों के बने मददगार

वर्ष 2019 में कोविड महामारी के दौरान बच्चों को खोजकर शासन की कल्याणकारी योजना के तहत लाभान्वित किया था। जिसमें 13 बच्चे जिनके माता-पिता दोनों काल कलवित हो चुके थे, उन्हें एक मुश्त दस-दस लाख की अहेतुक सहायता एवं 4 हजार रुपए प्रतिमाह की स्कीम अपने प्रयास से मुहैया कराई। 200 से अधिक ऐसे जिनके माता या पिता में से एक की मृत्यु हो चुकी थी, 18 वर्ष तक उन्हें 4 हजार रुपए प्रतिमाह के लाभ से लाभान्वित कराया गया। 

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विवाद एक 
बाल संरक्षण अधिकारी बनने के करीब नौ वर्ष बाद पहली बार 1 अक्टूबर को वर्ष 2022 में विवादों के घेरे में घिरे। इन पर एक व्यक्ति द्वारा बिजली विभाग में नौकरी के नाम पर एक लाख दस हजार रूपए लेने के मामले में केस भी दर्ज किया गया। 

विवाद दो 
नौतनवा के बगहा में हुई एक बच्ची ख़ुशी की मौत के मामले में जिलाधिकारी अनुनय झा ने इन्हें इनकी लापरवाही के कारण बर्खास्तगी की सजा दी है।  

NCPCR के परामर्श 
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के अनुसार, कम-से- कम एक अधिकारी, जो सहायक उप-निरीक्षक के पद से नीचे का न हो, को प्रत्येक पुलिस स्टेशन में (CWPO) के रूप में नामित किया जाना चाहिये।

प्रत्येक ज़िले और शहर में एक विशेष किशोर पुलिस इकाई की स्थापना की जानी चाहिये, जिसका प्रमुख एक अधिकारी होगा जो पुलिस उपाधीक्षक के पद से नीचे का न हो। इस इकाई में बाल कल्याण के क्षेत्र में काम करने का अनुभव रखने वाले (CWPO) और दो सामाजिक कार्यकर्त्ता शामिल होंगे, जिनमें से एक महिला होगी, जो बच्चों के संबंध में पुलिस के सभी कार्यों का समन्वय करेगी।

जनता से संपर्क करने के लिये (CWPO) के संपर्क विवरण सभी पुलिस थानों में प्रदर्शित किये जाने चाहिये। 










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