महराजगंज: अवैध वसूली के लिये शहर कोतवाल के चहेते दरोगा ने बुजुर्ग को पीटा, चुनाव से पहले बड़ा बवाल, आक्रोशित ग्रामीणों ने किया रास्ता जाम

शिवेन्द्र चतुर्वेदी/अरुण गौतम

महराजगंज जिले के गरीबों की आवाज डाइनामाइट न्यूज़ लगातार इस बात को उठा रहा है कि कैसे शहर कोतवाल रामदवन मौर्य का आतंक गरीब जनता के सिर चढ़कर पिछले दो साल से बोल रहा है। आये दिन एक बड़ा बवाल.. फिर भी डीएम औऱ एसपी सब कुछ जानते हुए एक सत्तारुढ़ जनप्रतिनिधि के दबाव में दो साल से एक ही थाने की कुर्सी पर शहर कोतवाल को बैठाये हुए हैं। ऐन चुनाव में हजारों गरीब जनता का यह गुस्सा भाजपा प्रत्याशी के लिए मुसीबत का बड़ा सबब बन सकता है। डाइनामाइट न्यूज़ के खोजी संवाददाताओं की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..



महराजगंज: जिला मुख्यालय से महज 11 किमी की दूरी पर सदर कोतवाली के पिपरा रसूलपुर में गुरुवार की सुबह बड़ा बवाल हो गया। हजारों आक्रोशित ग्रामीणों ने महराजगंज-फरेन्दा मुख्य मार्ग को जाम कर दिया।

वजह अवैध वसूली के चक्कर में आईटीएम चौकी के इंचार्ज श्रवण शुक्ला ने अपने साथी सिपाही के साथ 55 वर्षीय लाचार, गरीब बुजुर्ग ओमप्रकाश की बुरी तरह पिटाई कर दी। यह गरीब अपने परिजनों के लिए दो जून की रोटी के इंतजाम के लिए जंगल से लकड़ी बीनकर करीब साढ़े नौ बजे अपनी टूटी साईकिल पर रखकर ला रहा था तभी इस बेबस बुजुर्ग पर दरोगा श्रवण शुक्ला और इसके साथी सिपाही की बुरी नजर पड़ गयी। पहले तो वसूली की कोशिश हुई फिर असमर्थता जताने पर बुरी तरह पिटाई। 

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ग्रामीणों के मुताबिक यह दरोगा जिले के सबसे बदनाम थानेदार रामदवन मौर्या को बेहद खास है। डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शहर कोतवाल रामदवन मौर्य का आतंक पिछले दो साल से गरीब जनता के सिर चढ़कर बोल रहा है। ऐसी कौन सी मजबूरी जिले के डीएम और एसपी की है कि आये दिन हो रहे बड़े बवालों के बावजूद जिले के सबसे विवादित थानेदार को पिछले दो साल से एक ही कुर्सी पर बैठाये हुए हैं। आम चर्चा है कि नगर के एक जनप्रतिनिधि का खुला हाथ इस कोतवाल पर है और इसी के दबाव के चलते डीएम और एसपी अपनी जनता के प्रति जो जवाबदेही है उसको भूल सिर्फ मौन धारण कर चुपचाप तमाशा देख रहे हैं। चंद दिन पहले बस स्टेशन पर सेना के जवान को कोतवाली के मनबढ़ सिपाहियों ने पीट डाला था लेकिन हर बार की तरह उस मामले को भी झूठा बता रफा-दफा कर दिया गया। यही नही चंद रोज पहले बीच शहर में अराजकतत्वों ने लोससभा चुनाव में बड़े बवाल को अंजाम देने की कुटिल मंशा से डा. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को खंड-खंड कर डाला था। इस मामले में भी कोतवाल की संदिग्ध भूमिका को बड़े अफसरों ने नजरअंदाज कर साफ बचा लिया था। 

 

भागता नहीं तो पीटा जाता आरोपी दरोगा

इस बार भी बवाल के बाद मौके पर पहुंचे सदर एसडीएम सत्यम मिश्रा और सीओ सदर देवेन्द्र कुमार मामले की लीपा-पोती में जुट गये। इधर आरोपी दरोगा बवाल बढ़ता देख मौके से फरार हो गया। मौके पर आक्रोश का आलम यह है कि यदि ये दरोगा भीड़ के हत्थे चढ़ जाता तो इसकी बुरी दुर्गति हो सकती थी। घंटो से लगा जाम खुलवाने में सदर एसडीएम सत्यम मिश्रा और सीओ सदर देवेन्द्र कुमार के पसीने छूट गये। दोनों का मौके पर जबरदस्त ढ़ीला रवैया देख भीड़ का हौसला बुलंद हो उठा औऱ लोग चौकी फूंकने से लेकर दरोगा को जान से मारने के लिए आमादा हो उठे (देखें वीडियो) 

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पकड़ा गया दरोगा का झूठ

इधर बड़े पुलिस वालों की शह पर आरोपी दरोगा श्रवण शुक्ला ने एक नयी कहानी रच डाली। डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में अपने बचाव की झूठी दलील रखते हुए शुक्ला ने कहा कि बुजुर्ग के साथ मौजूद उसका विकलांग लड़का उसे ही पीटने लगे। अब भला इस दरोगा की इस झूठी दलील पर कौन यकीन करेगा कि एक 55 वर्षीय बुजुर्ग और उसका विकलांग लड़का दरोगा और सिपाही को कैसे पीट सकते हैं वो भी भरी वर्दी में?

झूठ पर झूठ बोलते रहे सीओ सदर

सीओ सदर देवेन्द्र कुमार को घटनाओं को साबूत पचा जाने में महारथ हासिल है, बवाल व जाम के तीन घंटे बीत जाने के बाद जब डाइनामाइट न्यूज़ ने फोन पर उनसे पूछा कि दरोगा के साथ गये आरोपी सिपाही का नाम क्या है तो उन्होंने साफ झूठ बोल डाला कि मुझे नही पता.. जब उनसे सम्पूर्ण बवाल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कोई भी जानकारी देने से साफ मना कर दिया। 

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सबसे बड़ा सवाल 

लंबे वक्त से डाइनामाइट न्यूज़ यह सवाल खड़े कर रहा है कि शहर कोतवाल रामदवन मौर्य की हरकतों के चलते क्या जिले में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न हो पायेगा? यदि मतदान और मतगणना में कोतवाली इलाके में बड़ा बवाल हुआ तो इसके लिए क्या डीएम और एसपी जिम्मेदार नही होंगे?










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