महराजगंज: सेना के जवान को कोतवाली पुलिस का थप्पड़, भारी भीड़ ने कोतवाल को घेरा, रास्ता जाम कर भयंकर नारेबाजी, हंगामा

देश भर में पुलवामा हमले के बाद सेना के साहसी जवानों का जहां सम्मान किया जा रहा है वहीं बदनाम कोतवाली पुलिस उनकी थप्पड़ों से बीच सड़क पर गुंडों की तरह पिटाई कर रही है। यह सब देख आम जनता का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा है और शहर कोतवाल रामदवन मौर्य को घेर घंटों से नारेबाजी जारी है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 22 March 2019, 9:09 PM IST
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महराजगंज: जनपद मुख्यालय के कालेज रोड की सड़क पर शुक्रवार की देर शाम उस वक्त हंगामा मच गया जब शहर कोतवाल रामदवन मौर्य के मुंहलगे सिपाही विनय यादव ने आचार संहिता की आड़ में सेना के जवानों के साथ बदसलूकी व गाली-गलौच करते हुए सेना के एक साहसी जवान को करारा तमाचा जड़ दिया। 

इसके बाद तो मानो बवाल हो गया। बड़ी संख्या में नगरवासियों ने पीडब्ल्यूडी के सामने हंगामा शुरु कर दिया। देखते ही देखते कोतवाली पुलिस के खिलाफ भारी नारेबाजी शुरु हो गयी। 

हुआ यूं कि पीडब्ल्यूडी गेट के पास सेना के जवान शांति पूर्वक एक दुकान पर जूस पी रहे थे तभी कोतवाली पुलिस के रंगरुटों ने जांच के नाम पर धुनाई औऱ गालियों से नवाजना शुरु कर दिया। इन्हें तनिक भी आभास नही था कि जनता इस कदर आक्रोशित होगी। आरोप है कि जब जवान ने अपना परिचय दिया तब भी उसके साथ बदसलूकी जारी रही और जब वह फोन करने लगा तो पुलिस वालों ने उसका मोबाइल छीन लिया।

डाइनामाइट न्यूज़ की तहकीकात में सामने आया कि शहर कोतवाल पिछले दो साल से यानि जबसे भाजपा की सरकार आयी है तबसे कोतवाली की कमाऊ कुर्सी पर जोड़-तोड़ कर जमे हुए हैं। अंदर की खबर ये है कि नगर मुख्यालय पर निवास करने वाले एक जनप्रतिनिधि का इस पर हाथ है। यही कारण है कि कई एसपी आये और गये लेकिन जनता के लाख विरोध के बाद भी इस कोतवाल का बाल तक बांका नही हुआ। चुनाव आय़ोग की लाख चेतावनियों के बाद भी रामदवन जुगाड़ के सहारे अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे।

सेना के जवान को बिना कारण पीटे जाने से बिफरी जनता का कहना है जबसे रामदवन कोतवाली के थानेदार बने हैं तबसे हर सप्ताह कोई न कोई बड़ा बवाल हो रहा है फिर भी न जाने क्यों इसे इस पद पर बनाये रखा गया है। आम जनता का यह भी कहना है कि कोतवाल की विवादित कार्यप्रणाली के चलते चुनाव के दौरान इनकी वजह से किसी बड़ी अनहोनी घटना से इंकार नही किया जा सकता। सबसे बड़ा सवाल ये है कि पिछले दो साल से जनता लगातार सड़कों पर इसका विरोध कर रही है फिर भी बड़े अफसर आखिर क्यों इसे संरक्षण दिये हुए हैं। यदि चुनाव के दौरान कोई बड़ा बवाल हुआ तो फिर जिले के जिम्मेदार अफसर चुनाव आय़ोग और सीएम को क्या मुंह दिखायेंगे?

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