महराजगंज: हिन्दू युवा वाहिनी के नेताओं ने खोला मोर्चा, कहा- भाजपा का नहीं सांसद पंकज चौधरी का होगा चुनाव में विरोध
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि जब सीएम योगी आदित्यनाथ सांसद होते थे तब पंकज चौधरी गाहे-बेगाहे अंदरुनी तौर पर योगी से काम्पटीशन करते थे लेकिन हर बार मुंह की खाते थे, पंकज को लगता है कि राजनीति में वे योगी से सीनियर हैं बावजूद इसके भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने हमेशा योगी को आगे बढ़ाया। पंकज 6 बार लोकसभा का चुनाव जीतने के बावजूद कभी केन्द्र में मंत्री नहीं बन पाये और योगी उनके बाद राजनीति में आय़े लेकिन अपने तेवरों और कुशलता से सीएम बन गये। यह बात स्थानीय स्तर पर कुछ लोगों को पसंद नहीं आयी और नतीजा यह है कि ऐसे लोग आज भी सीएम योगी के लोगों को किनारे करने में ही अपनी जीत देखने का मुगालता पाल रहे हैं। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
महराजगंज: जब तक सीएम योगी गोरखपुर के सांसद रहे तब तक पंकज और योगी में अंदरुनी राजनीतिक तौर पर 36 का आंकड़ा रहा। यह लड़ाई लगता है आज भी जारी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण देखने को मिला जिला पंचायत सदस्य के टिकट वितरण में।
महराजगंज भाजपा के जिला संगठन पर पंकज चौधरी के लोग काबिज हैं। जिले के दो भाजपाई विधायकों को छोड़ दें तो बाकी विधायक और जिला संगठन पंकज के चहेते हैं। 1995 से लगातार महराजगंज जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर पंकज के भाई, मां और इनके आदमियों का कब्जा रहा है।
सवाल यह है कि आखिर पंकज सांसद होने के बावजूद क्यों जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को अपने खेमे में रखने के लिए इतना छटपटाते हैं तो इसके पीछे की वजह जानकार बताते हैं अरबों रुपये का ठेके-पट्टे का बजट। इन ठेके-पट्टों में जमकर खेल होता है। यही खेल असली वजह है जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा करने की।
मामले में दिललचस्प मोड़ तब आय़ा जब सीएम योगी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष का आरक्षण अनारक्षित घोषित कर दिया। मतलब किसी भी जाति यानि की सवर्ण जाति के लोग ठाकुर, ब्राह्मण, कायस्थ भी इस बार इस कुर्सी पर चुनाव जीत काबिज होने के बारे में सोच सकता है।
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1995 से आज तक कभी भी इस कुर्सी पर इन जातियों से कोई काबिज नहीं हो सका है। सांसद का पद जिले में अनारक्षित है बावजूद इसके भाजपा के कोटे से कभी सवर्ण जाति का उम्मीदवार न आने से इन जाति के लोग सांसद नहीं हो पाये। सदर विधायक की कुर्सी लंबे समय से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं लिहाजा इन जातियों के लोग यहां भी कट गये।
अब योगी सरकार में जब जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनारक्षित हुआ यानि कि किसी भी जाति का व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है तो कई लोगों की इच्छायें जागृत हुईं।
लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर पिछले 25 साल से कुंडली मारे बैठे पंकज ने अपनी राजनीतिक चाल चली और एक झटके में योगी के करीबियों को टिकट वितरण के दौरान काट कर रख दिया।
हिंदू युवा वाहिनी के एक भी प्रमुख चेहरे को 47 सीट में किसी पर भी उम्मीदवार नहीं बनने दिया। हैरान करने वाली बात यह भी है कि योगी के जो खास कार्यकर्ता टिकट मांग रहे थे उनमें से कुछ जिला पंचायत के सदस्य भी रह चुके हैं तो कुछ पहले चुनाव लड़ भी चुके हैं लेकिन भाजपा के जिला संगठन ने किसके इशारे पर योगी के लोगों को एक झटके में काट दिया, इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है।
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बुधवार को लगातार दूसरे दिन हिंदू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष नरसिंह पांडेय और योगी के संसदीय कार्यकाल में उनके प्रतिनिधि रहे, निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य काशीनाथ सिंह आदि ने खुलकर मीडिया के सामने आरोप लगाया कि सांसद पंकज चौधरी ने डर के नाते हिंदू युवा वाहिनी के प्रत्याशियों के टिकट कटवा दिए, उन्होंने सोचा कि हिंदू युवा वाहिनी का कार्यकर्ता यदि जीत जाता है तो वह उनके जिला पंचायत अध्यक्ष पर कब्जा जमा सकता है, यही सोच उन्होंने योगी के किसी आदमी को टिकट नहीं देने दिया।
हिन्दू युवा वाहिनी के नेताओं ने अब खुलेआम चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बीजेपी का विरोध नही है यह निजी तौर पर सांसद पंकज चौधरी का विरोध है और इस बात की जानकारी हमने अपने प्रदेश स्तर तक दे दी है।
इधर इन नेताओं के तेवर देख पंकज खेमा सहम गया है कि कहीं यह चिंगारी आग का रुप न ले ले, इसलिए अंदरखाने में मान-मनौव्वल की कोशिशें जारी हैं कि किसी भी तरह हिन्दू युवा वाहिनी के नेताओं में फूट डाल कर बांटो और राज करो की नीति को आगे इस बार के जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में कायम रखा जाये।