यूपी: हाय रे पुलिस..दंगे में घसीट दिया 4 साल के मासूम का नाम, जमानत के लिए जाना पड़ा कोर्ट
महराजगंज जनपद की निचलौल पुलिस की घोर लापरवाही के कारण एक चार साल के मासूम बालक को शांति भंग होने के खतरे के मामले में जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी देनी पड़ी। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें क्या है पूरा मामला..
महराजगंजः ग्राम सभा जगदौर में बारावफात के दिन निकाले गए जुलूस को लेकर दो समुदायों के बीच दंगे की आशंका को लेकर जिले से लेकर तहसील तक पुलिस प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर दोनों समुदायों को शांत करवाया था। मामले को प्रशासन अपने संज्ञान में लेते हुए दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर सुलह समझौता कराया गया। दो दिन पहले दिनांक 29-11-2018 को 21 लोगों पर धारा 107,116,151 के तहत नोटिस भेज कर अवगत कराया गया।
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जिसमें एक चार साल का बच्चा सरफराज पुत्र शाह आलम ग्राम सभा जगदौर का रहने वाले का भी नाम देख लोग दंग रह गए और जिम्मेदार अफसरों की गलती या मंबढ़ाई को लेकर आक्रोशित हो गए। गांव वालों का कहना है कि मिठौरा चौकी इंचार्ज पवन गिरी ने सुलह- समझौता होने के बाद 107,116,151 जैसी धारा लगाई। उनका यह भी कहना है कि उच्च अधिकारियों की मौजूदगी में सुलह-समझौता कराया गया था,फिर ये किसलिए।
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ग्रामीणों का कहना है कि भला निचलौल पुलिस को इस चार साल के मासूम से कैसे शांति भंग होने का खतरा हो सकता है।पुलिस ने बालक को पाबंद कर एसडीएम को रिपोर्ट भेज दी। एसडीएम ने सरफराज को नोटिस जारी कर जमानत कराने का निर्देश दिया। जब यह बालक जमानत के लिए कोर्ट में पहुंचा तो वहां माहौल और अपरिचितों को देखकर वह डर गया और रोने लगा। बच्चे को इस तरह रोता-विलखता देख परिजनों ने उसे मिठाई और समोसा देकर किसी तरह से चुप कराया।
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ग्रामीणों को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने परिजनों संग पूरे गांव के साथ सीओ को ज्ञापन देकर बालक को पाबंद करने वाले उप निरीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। बतां दें कि उप जिला मजिस्ट्रेट ने 29 नवंबर को सरफराज को नोटिस भेजा था। अब सीओ निचलौल रणविजय सिंह ने मामले को लेकर कहा है कि इस बच्चे के पांबद करने के मामले की जांच करवाई जाएगी। जांच में जो भी पुलिसकर्मी दोषी पाया जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।