DN Exclusive: आधी रात में चोरी से रात के अंधेरे में जिला प्रशासन ने किया DDC और SOC के चकबंदी के कार्यालयों को जिला मुख्यालय से फरेन्दा शिफ्ट

शिवेंद्र चतुर्वेदी

आज हम डाइनामाइट न्यूज़ पर दो शातिर किस्म के मनबढ़ अफसरों की पोल खोल रहे हैं कि कैसे इन दोनों ने अपने निहित स्वार्थ में जिले को अशांति की आग में झोक दिया है। इनके करतूतों को नादान जिला प्रशासन भी नही समझ पाया और अब हालात यह हो गये हैं कि जिले के विभिन्न तहसीलों के अधिवक्ता आंदोलन को बाध्य हैं। शासन के खिलाफ जिले की जनता और फरियादियों में भारी गुस्सा व आक्रोश है। एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..



महराजगंज: बरेली के डीएम राघवेन्द्र सिंह राज्य में अकेले नही हैं जो खुलेआम सरकार की पीठ में छूरा घोंपने का काम कर रहे हैं। भ्रष्टाचार के लिए पूरे प्रदेश में बदनाम हो चुके महराजगंज जिले में दो शातिर किस्म के चकबंदी अधिकारी कौशलानंद यादव और अखिलेश कुमार हैं। इन दोनों ने अपनी मंथरा बुद्धि से ऐसी कुटिल चाल चली कि एक ही झटके में जिले की विभिन्न तहसीलों के अधिवक्ता आंदोलन के लिए मजबूर हो गये।

ये है पूरा मामला
पूरे राज्य में महराजगंज इकलौता ऐसा जिला है जहां पर चकबंदी विभाग के दो जिला स्तरीय अधिकारी DDC और SOC के चकबंदी कार्यालय जनपद मुख्यालय पर नही हैं। जब सूबे में नयी सरकार आयी तो उसने इस बिगड़ी व्यवस्था को सुधारते हुए जनहित में निर्णय लिया कि DDC , SOC और CO  के चकबंदी कार्यालयों को फरेन्दा तहसील से हटाकर जिला मुख्यालय पर किया जाय ताकि जिले के सभी क्षेत्रों के वादकारियों के हितों की बराबर भाव से रक्षा हो सके। योगी सरकार के निर्देश पर जनवरी महीने में फरेन्दा तहसील में स्थापित इन तीन में से दो DDC और SOC के कार्यालयों को हटाकर जिला मुख्यालय पर शिफ्ट कर दिया गया। यहां शासन के निर्देशों का आधा-अधूरा पालन जिला प्रशासन ने कराया और सीओ के कार्यालय को फरेन्दा में ही रहने दिया गया।

सीओ कौशलानंद यादव और अखिलेश कुमार हैं मुख्य साजिशकर्ता
जैसे ही DDC  और SOC के कार्यालय जिला मुख्यालय पर शिफ्ट होने की सूचना चकबंदी अधिकारी कौशलानंद यादव और अखिलेश कुमार को मिली, इन दोनों ने अपनी शातिर चालें चलनी शुरु कर दी कि किसी भी तरह ये कार्यालय जिला मुख्यालय से फिर फरेन्दा शिफ्ट हो जायें ताकि उनके भ्रष्टाचार व लूट-खसोट पहले की तरह चलती रहे। 

क्यों डीएम ने बदला अपना निर्णय?
बीती रात अचानक यह खबर आय़ी कि रात के अंधेरे में चोरी से चकबंदी के ये दोनों कार्यालय जिला मुख्यालय से बिना किसी नोटिस के, चकबंदी अधिनियम के विपरित जाकर 30 किमी दूर फरेन्दा तहसील में शिफ्ट कर दिये गये। 

लाल घेरे में शातिर चकबंदी अधिकारी कौशलानंद यादव

 

तैनाती महराजगंज में लेकिन रात्रि निवास गोरखपुर में
अंदर की बात यह है कि चकबंदी अधिकारियों कौशलानंद यादव और अखिलेश कुमार की तैनाती महराजगंज जिले में होने के बावजूद ये दोनों शासनादेशों की खुले आम धज्जियां उड़ाते हुए किसी भी दिन महराजगंज जनपद मुख्यालय पर रात्रि निवास नही करते हैं। ये दोनों गोरखपुर जिले में अपना निवास बनाये हुए हैं और रोजाना गोरखपुर चोरी से भाग जाते हैं। तैनाती महराजगंज में निवास गोरखपुर में.. इस काले खेल पर जिले के जिम्मेदार अफसर सब कुछ जानते हुए भी चुप्पी साधे हुए हैं जैसे उन्हें कुछ पता ही नही। ये दोनों शातिर गोरखपुर से दिन में 11 बजे के बाद अपने दफ्तर पहुंचते हैं और 3 बजे ही गोरखपुर वापस भाग जाते हैं। 

सीधे देते हैं मुख्यमंत्री को चुनौती
जनता के धन से वेतन पाने वाले ये दोनों मुख्यमंत्री को सीधी चुनौती देने का दंभ भरते हैं। पिछले महीने जैसे ही कार्यालय जिला मुख्यालय आया वैसे ही ये दोनों सिस्टम को चुनौती देने पर उतर आय़े और जगह-जगह लोगों के बीच कहने लगे कि पूरा जीवन चकबंदी की नौकरी में काटी है। डीएम हो या सीएम.. पाकेट में रखकर चलता हूं। लोगों को भड़काकर ऐसा आंदोलन कराऊंगा कि लोग देखते ही रह जायेंगे। देखता हूं किसकी हिम्मत है जो जिला स्तरीय चकबंदी अधिकारियों के कार्यालय को जिला मुख्यालय पर रहने देता है? 

भ्रष्टाचार का है पूरा खेल
यह पूरा असल खेल भ्रष्टाचार का है, गरीबों की जमीन पर डाका डालने का है। अपने हिसाब से उल्ट-सीधे निर्णय मुकदमों में देने का है।

फेसबुक फोटो से खुली चकबंदी अधिकारी की पोल
अपनी मांगों को लेकर जनता और वकीलों का आंदोलन तो समझ में आता है लेकिन अपनी ही सरकार के निर्णय के खिलाफ आंदोलन करने वालों को खुलेआम भड़काना और सार्वजनिक रुप से फोटो खिंचवाकर शासन को चिढ़ाना कोई शातिर चकबंदी अधिकारी कौशलानंद यादव से सीखे। यह नौकरी के सरकारी नियमों व अनुशासन के उलट जाकर डीएम से लेकर सीएम तक को चुनौती देता है। जैसे ही ये कार्यालय फरेन्दा शिफ्ट होने की जानकारी मिली यह अपनी खुशी छिपा नही सका और इसकी चोर की दाढ़ी में तिनका वाली कहावत सबके सामने आ गयी। खुशी का प्रदर्शन करने वाले लोगों के समूह में यह जाकर फोटो खिंचवाने लगा और जरा इसकी अकड़ तो देखिये.. कैसे यह जेब में हाथ डालकर औऱ रंगीन चश्मा लगाकर अपने को सुपरस्टार समझ रहा है। यह वैसे ही मुगालते में है जैसे किसी ऊंट ने जब तक पहाड़ नही देखा तो उनके को सबसे ऊंचा समझने की भूल करता है। 

जिला प्रशासन के यू-टर्न पर भड़के महराजगंज के वकील
जिला प्रशासन के यू-टर्न के बाद अब महराजगंज कलेक्ट्रेट के सैकड़ों वकीलों का आक्रोश फूट पड़ा है। इन्होंने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि वे अपने मान-सम्मान की लड़ाई लड़ेंगे और किसी भी कीमत पर उक्त दोनों कार्यालय को जिला मुख्यालय पर लाकर ही रहेंगे। वकीलों का कहना है कि इन चकबंदी अधिकारियों ने महराजगंज को जलाने की साजिश रच डाली है। आंदोलन करने वाले अधिवक्ताओं में प्रमुख रुप से सतीश श्रीवास्तव, राकेश बिहारी लाल श्रीवास्तव, देवेश नारायण तिवारी, रमेश चंद्र दीक्षित, सुधीर कुमार श्रीवास्तव, आर. के. दास, जगदम्बा शरण श्रीवास्तव, विजय नारायण सिंह, धर्मेन्द्र पांडेय, राम नगीना, गोरख नाथ चतुर्वेदी, अनिरुद्ध लाल श्रीवास्तव, हरीश पति त्रिपाठी, वृजेश कुमार श्रीवास्तव, वृजेश पटेल, अंकुर मणि त्रिपाठी, जगदम्बा गुप्ता, भूपेन्द्र चंद्र पटेल, ओमप्रकाश सिंह शामिल हैं।

एक महीने में दो-दो आदेशों से जिले को झोंका अशांति की आग में 
जिला प्रशासन की नादानी.. जनता व फरियादियों के लिए जी का जंजाल बन गयी है। नौतनवा से लेकर महराजगंज तक के वकीलों और आम जनता, वादकारियों में भारी गुस्सा व आक्रोश है। कहीं इसके पीछे जिले को अशांति की आग में झोंकने की तैयारी तो नही.. यह सबसे बड़ा सवाल है जिसका जवाब जिला प्रशासन का कोई अफसर देने को तैयार नही है। जिला प्रशासन ने अपनी नादानी से एक मामूली फोड़े को नासूर बना दिया है।

अन्य तहसीलों के फरियादी क्यों जायेंगे फरेन्दा तहसील?
DDC और SOC कार्यालय जिला मुख्यालय पर होने चाहिये न कि किसी एक तहसील में.. क्योंकि जिला मुख्यालय पर कार्यालय रहने से सभी तहसील के निवासियों को बराबर का न्याय मिल सकेगा। बड़ा सवाल यह है कि घुघली, सिसवा, परतावल, पनियरा, निचलौल, ठूठीबारी, बरगदवा, परसामलिक, नौतनवा, मिठौरा की जनता अपने मुकदमों की पैरवी के लिए जिला मुख्यालय जायेगी या फिर किसी तहसील फरेन्दा में?










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