लखनऊ: करोड़ों रूपये खर्च होने के बाद भी गोमती गंदी, परियोजनाओं पर उठे सवाल

डीएन संवाददाता

नदियों की साफ सफाई को लेकर पीएम मोदी समेत यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ काफी संवेदनशील माने जाते है। सरकार द्वारा आये दिन नदियों की सफाई को लेकर भी बड़-बड़ी घोषणाएं की जाती है लेकिन गोमती नदी के मामले में ये बादे हवा-हवाई ही साबित हो रही है। करोड़ों रूपये खर्च किये जाने के बाद भी गोमती प्रदूषण मुक्त नहीं हो पा रही है। पूरी खबर..

गोमती नदी में गिरने वाला एक गंदा नाला
गोमती नदी में गिरने वाला एक गंदा नाला


लखनऊ: राजधानी की लाइफ लाइन समझी जाने वाली गोमती नदी की सफाई के नाम पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है लेकिन इसके बाद भी गोमती प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकी। गोमती की समस्या जस की तस बनी हुई है। करोड़ों खर्च होने के बाद भी बड़े नाले सीधे गोमती में गिरकर इसके स्वरूप को बिगाड़ने में लगे हुए है, जिससे इस नदी का पानी लगातार गंदा हो रहा है। घोर आश्चर्य की बात यह भी है कि संबंधित विभाग यह सब देखते हुए भी अपनी आंखें मूंदे बैठे हैं।

 

 

गौरतलब है की लखनऊ के भरवारा स्थित 345 एमएलडी क्षमता के एसटीपी से जो पानी सीवर से अलग कर नदी में छोड़ा जाता है, वह शोधित हुए बिना ही सीधे गोमती में जाकर मिल रहा है, जिससे गोमती नदी एक गंदे नाले का रूप धारण करती जा रही है।

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एसटीपी पांच साल में ही फेल

गोमती नगर विस्तार में लगे भरवारा क्षेत्र में कई साल पहले एसटीपी शुरू हुआ था। यह एसटीपी जेएनएनयूआरएम योजना में एशिया का सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट था। यह एसटीपी यह सोचकर लगाया गया था कि आगामी 15 साल तक नया ट्रीटमेंट बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, मगर ये 5 साल में ही फेल हो गया।

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65 करोड़ का खर्चा

साल में करीब 65 करोड़ रुपए इस सीवेज ट्रीटमेंट के संचालन में खर्च किए जाते हैं, इसके बावजूद भी नालों का गंदा पानी सीधे नदी में जा रहा है। शहर में अभी करीब 750 एमएलडी नालों का दूषित पानी  निकलता है, जबकि ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता केवल 350 एमएलडी ही है। नतीजा यह है कि बचा हुआ गंदा पानी सीधे गोमती में जाकर मिल जाता है।

कब होगी गोमती साफ

नियम यह है कि नदी मे गंदा पानी छोड़ने से पहले उसका उपचार किया जाना जरूरी है, ऐसा हो नहीं पा रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि लखनऊ की लाइफलाइन समझे जाने वाली गोमती नदी कब तक साफ हो पाएगी?
 










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