Uttar Pradesh: यूसीसी को लेकर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर लगाया ये आरोप

डीएन ब्यूरो

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अल्पसंख्यक मोर्चा ने जहां ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) पर ‘समान नागरिक संहिता’ (यूसीसी) के मसौदे को देखे-समझे बगैर उसका विरोध करने का आरोप लगाया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

प्रतीकात्मक चित्र
प्रतीकात्मक चित्र


लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अल्पसंख्यक मोर्चा ने जहां ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) पर ‘समान नागरिक संहिता’ (यूसीसी) के मसौदे को देखे-समझे बगैर उसका विरोध करने का आरोप लगाया है, वहीं बोर्ड का कहना है कि भारत जैसे बहुसांस्कृतिक और धार्मिक विविधता वाले देश में यूसीसी का विचार ही संविधान-विरोधी है, लिहाजा वह इस संबंध में कोई मसौदा आने का इंतजार किये बगैर ही विरोध कर रहा है।

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की उत्‍तर प्रदेश इकाई के अध्‍यक्ष कुंवर बासित अली ने सोमवार को 'पीटीआई—भाषा' से बातचीत में कहा कि अभी यूसीसी का स्वरूप तय नहीं हुआ है, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उससे पहले ही इसके विरोध में जुट गया है और हर स्तर पर इसके खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है।

अली ने कहा कि यूसीसी का स्वरूप भले तैयार नहीं हुआ है, लेकिन इतना अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रस्तावित समान नागरिक संहिता के लागू होने से हर धर्म की माताओं और बहनों को ताकत मिलेगी, बहुविवाह पर प्रतिबंध लग सकता है और बेटियों को भी जायदाद में हिस्सा देने का प्रावधान हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित यूसीसी का विरोध करने वालों को सम्भवत: इसी बात से परेशानी हो रही है।

उन्होंने बोर्ड पर आरोप लगाते हुए कहा, ''ऐसा लगता है कि एआईएमपीएलबी यूसीसी के मसौदे को देखे-समझे बगैर ही इसके खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है। यह देशहित में नहीं है। सरकार और विधि आयोग ने यूसीसी के मसौदे पर लोकतांत्रिक तरीके से सभी से सुझाव भी मांगे हैं। यह सुझाव देने का समय है, न कि विरोध करने का।''

गौरतलब है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यूसीसी के मसौदे के खिलाफ लामबंदी के लिए विपक्षी दलों के नेताओं, दूसरे धार्मिक तथा सांस्‍कृतिक समुदायों एवं आम मुसलमानों से बातचीत कर रहा है। बोर्ड ने देश की तमाम मस्जिदों के इमामों से अपील की है कि वे जुमे की नमाज से पहले अपने खुतबे (भाषण) में मुसलमानों को पर्सनल लॉ के महत्व के बारे में बताएं और यूसीसी के मसौदे के खिलाफ विधि आयोग को अपनी राय भेजें।

अली ने कहा कि यह अच्छा होता कि बोर्ड विरोध करने के बजाय एक बेहतर ‘समान नागरिक संहिता’ बनाने में मदद करता। उन्होंने कहा कि बोर्ड के पदाधिकारियों का विपक्षी दलों के साथ बातचीत करना उसकी मंशा पर सवाल खड़े करता है।

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित यूसीसी का मकसद किसी की धार्मिक आजादी या पूजा पद्धति में दखलंदाजी करना नहीं है, बल्कि इसके जरिये लोकतंत्र को मजबूत करने की मंशा है।

इस बीच, एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने कहा कि ‘समान नागरिक संहिता’ का शीर्षक ही अपने आप में विरोध की एक बड़ी वजह है।

इलियास ने कहा, ''भारत में बहुत से धर्मों के मानने वाले लोग रहते हैं और संविधान में सभी की धार्मिक आजादी के संरक्षण की गारंटी दी गयी है। ऐसे में प्रस्तावित यूसीसी से किसी न किसी प्रकार हर धर्म और वर्ग के लोगों के हितों पर आघात होगा। ऐसे में बोर्ड का मानना है कि वह यूसीसी का कोई स्वरूप (मसौदा) सामने आने का इंतजार नहीं करेगा, क्योंकि इसका नाम ही विरोध के लिए काफी है।''

उन्होंने कहा, ''सरकार की जो मंशा समझ में आती है, वह यह है कि तमाम धर्मों के लोगों को मिलाकर एक ‘समान नागरिक संहिता’ बननी चाहिये। हम इस ‘संविधान-विरोधी’ विचार के ही खिलाफ हैं। हमारा मानना यह है कि हर समुदाय का अपना पर्सनल लॉ है, आप (भाजपा सरकार) उसमें दखलंदाजी क्यों कर रहे हैं। कल होकर आप यह कहेंगे कि सभी धर्मों को मिलाकर एक ही धर्म बना लेते हैं। सबकी एक ही भाषा होगी...। इसलिए हम इस विचार के ही खिलाफ हैं। हम इस इंतजार में नहीं पड़ना चाहते कि यूसीसी का मसौदा सामने आ जाए तब बात करेंगे।''

यूसीसी मसौदे के विरोध में लामबंदी के लिए विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात के औचित्य के बारे में पूछे जाने पर इलियास ने कहा, ''हमारा मकसद है कि अगर सरकार भविष्य में यूसीसी को लेकर कोई विधेयक संसद में पेश करती है तो विपक्षी दल उसका विरोध करें। इसलिए बोर्ड विपक्ष के नेताओं से मुलाकात करके उनके सामने अपना पक्ष रख रहा है।''

उन्होंने बताया कि बोर्ड के पदाधिकारी अब तक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक शरद पवार, समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव और शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे से मिल चुके हैं।

इलियास के अनुसार, मुलाकात का सिलसिला राज्य और केन्द्र दोनों ही स्तरों पर जारी है। बोर्ड सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व से भी मुलाकात की कोशिश करेगा।










संबंधित समाचार